राम जन्मभूमि: ‘सिर्फ मालिकाना हक का नहीं बल्कि दिलों से जुड़ा मामला’
सुप्रीम कोर्ट ने आज राम जन्मभूमि मामले में कहा है कि वो इस मामले में जल्द से जल्द आदेश देना चाहते हैं इसलिए सभी पक्षकार मध्यस्थ का नाम सुझाएं.
सर्वोच्च अदालत ने राम जन्मभूमि मामले में चल रहे विवाद के स्थायी समाधान को लिए कोर्ट नियुक्त मध्यस्थ और निगरानी को लेकर अपना आदेश बुधवार को सुरक्षित रख लिया है. निर्मोही अखाड़ा के वरिष्ट वकील सुनील जैन ने कहा है कि वो मध्यस्थता का समर्थन करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट चाहती है कि इस मामले का ‘निश्चित हल’ निकले और विभिन्न पक्ष मध्यस्थ या मध्यस्थ के पैनल के लिए नाम सुझाएं. बेंच का कहना था कि,
“ये केवल ज़मीन के मालिकाना हक का मामला नहीं है बल्कि ये मामला दिलों से और लोगों की आस्था से जुड़ा है. हमें इस बात का पूरा आभास है कि ये संवेदनशील मामला है और मध्यस्थता में जो कुछ भी होगा उसका राजनीतिक असर पड़ सकता है. आज से पहले क्या हुआ, मुग़ल शासक बाबर ने क्या किया या फिर उसके बाद क्या हुआ इससे कोर्ट का कोई सरोकार नहीं है. हम इस मामले को वस्तुस्थिति के आधार पर ही देख सकते हैं.”
“ऐसा न सोचें की आपकी आस्था हमारी आस्था से बड़ी है. यह भावनाओं, धर्म और विश्वास से जुड़ा है. यह विवाद कितना बड़ा है, हमें भली-भांति इसका अहसास है. यदि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने का एक फ़ीसदी भी मौका होगा तो सभी पक्षों को मध्यस्थता के लिए आगे आना चाहिए. हम मध्यस्थता को लेकर बहुत गंभीर हैं. आप सभी ने इस शब्द का इस्तेमाल किया है कि यह विषय विरोधात्मक नहीं है. यदि एक फ़ीसदी भी संभावना दिखी तो हम मध्यस्थता पर आगे बढ़ना चाहेंगे.”
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच में चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर शामिल हैं. कोर्ट का मानना है कि इस मामले की मध्यस्थता के जरिए सुलझाना चाहता है. कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा है कि मध्यस्थता के जरिए दशकों पुराने इस विवाद को सुलझाने के सौहार्दपूर्ण संभावनाओं की तलाश करें.
हम आपको बता दें कि कि राम जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के साल 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील की गईं हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ ज़मीन सुन्नी वक़्फ बोर्ड, र्निमोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बांटने का फ़ैसला दिया था.