जिस पूर्वी UP पर प्रियंका और मोदी का फोकस है उसके बारे में ये भी जान लीजिए
पूर्वी UP या पूर्वांचल, यहां 24 जिले हैं और 29 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी ने 2014 में यहां मोदी और योगी फैक्टर का फायदा उठाया और आजमगढ़ को छोड़कर लगभग सभी सीटों पर कब्जा किया. 2019 में यहां पर कांग्रेस ने प्रियंका को मैदान में उतारा है, सपा-बसपा गठबंधन यहां बीजेपी के पांव उखाड़ने में लगा है. बीजेपी 2014 वाले फॉर्मूले पर ही चल रही है.
यूपी को ये वो इलाका है जहां पर माफियागीरी हावी रही. दल कोई भी यहां कामयाब हो लेकिन दबदबा माफियाओं का ज्यादा रहा है. गोरखपुर में 1980 के दशक में हरिशंकर तिवारी ने यहा राजनीतिक अपराधीकरण शुरु हुआ उसके बाद सियासत में सरगनाओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ. जिसमें मुख़्तार अंसारी, विनीत सिंह, बृजेश सिंह, विजय मिश्रा और सोनू सिंह जैसे बाहुबली नेता यहां सक्रिय हुए.
इस पूरे इलाके में माफिया ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लोग पंचायत-ब्लॉक, विधान परिषद, विधान सभा और लोकसभा तक सक्रिय हैं. पूर्वी यूपी की राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने की कोशिश ने नहीं की. सभी राजनीतिक दलों ने इसका फायदा उठाया.
गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, फ़ैज़ाबाद, अयोध्या, प्रतापगढ़, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर, मऊ, बलिया, भदोही, जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली, बनारस और प्रयागराज
ये वो लोग सीटें हैं जहां पर माफिया राज कायम रहा है. ये माफिया करीब आधा दर्जन सीटों पर दबदबा रखते हैं. एडीआर के आंकड़े देखें तो 2014 में चुने सांसदों में हर तीसरा सांसद आपराधिक केस से घिरा था. भारत में इस वक्त कुल 1765 सांसदों-विधायकों के खिलाफ 3816 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. आपको हैरानी होगी ये जानकर कि पूरे देश की इस सूची में 248 निर्वाचित सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ दर्ज 565 आपराधिक मुक़दमों के साथ UP पहले नंबर पर है.
पूर्वी UP में माफियाराज 1990 के दशक तक स्थापित हो चुका था. और पूर्वी यूपी में माफियाराज स्थापित कराने का काम कांग्रेस ने भी किया क्योंकि क्योंकि जब इंदिरा गांधी कांग्रेस संभाल रही थीं तो उन्होंने गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी, प्रतापगढ़ में राजा भैया और सिवान-गोपालजंग के इलाक़े में काली पांडे जैसे लोगों को ताकत दी.
इसके बाद मुलायम सिंह ने इस माफियाओं को बचाए रखने का काम किया. आज भी पूर्वी यूपी में सैकड़ों गैंगस्टर हैं और ये करोड़पति हैं. इनके खात्मे के लिए मोदी ने वादा तो किया था लेकिन खात्मा हो नहीं पाया. प्रियंका गांधी अब जब इस इलाके में कांग्रेस के लिए काम करेंगे तो उन्हें इससे निपटना होगा.