प्रियंका गांधी का कौन सा ‘कार्ड’ है मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुश्किल?

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राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को जब कांग्रेस महासचिव बनाकर पूर्वी यूपी की कमान सौंपी तो बीजेपी के ज्यादातर नेताओं ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया. बीजेपी के सभी बड़े नेताओं का कहना है कि कांग्रेस बढ़ाचढ़ाकर बातें कर रही है. प्रियंका गांधी जमीन पर कुछ खास नहीं कर पाएंगी.

लेकिन क्या प्रियंका गांधी बीजेपी को नुकसान नहीं कर पाएंगी. इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि प्रियंका के आने से क्षेत्रियो दलों को नुकसान कम होगा और बीजेपी को ज्यादा होगा. क्योंकि क्षेत्रीय दल अपने स्थानीय क्षत्रपों से काम चला रहे हैं ऐसे में प्रियंका कई राज्यों में कांग्रेस के काम आ सकती है लेकिन उन्हें राहुल गांधी की राजनीतिक से आगे जाकर कुछ करना होगा.

अगर मोदी और शाह की जोड़ी की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस पर काफी तीखे प्रहार किए हैं. जैसे मनमोहन को मौन मोहन कहा, राहुल को पप्पू कहा, सोनिया गांधी को इटैलियन बहू कहा और प्रियंका गांधी के पति रावर्ट वाड्रा पर आरोप लगाए. लेकिन प्रियंका गांधी पर अभी सीधे हमले नहीं किए गए हैं. इसका कारण लोग ये भी बताते हैं कि प्रियंका की राजनीतिक शैली भी काफी आक्रामक है.

लोगों ने प्रियंका की आक्रामक शैली की झलक रायबरेली में तब देखी थी जब उन्होंने सोनिया गांधी पहले चुनाव में अरुण नेहरू का चौथे स्थान पर ढकेल दिया था. यहां उनकी शैली आक्रामक थी लेकिन लोगों ने अपील भावनात्मक थी. मोदी-शाह नहीं चाहते कि प्रियंका के खिलाफ वो कोई ऐसा बयान दें जिसको लेकर प्रियंका मुद्दा बनाएं और बीजेपी की मुश्किल बढ़ जाए.

बीजेपी के एक मुश्किल ये भी है कि वो प्रियंका को रावर्ट वाड्रा के मुद्दे पर भी नहीं घेर सकती क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो प्रियंका पलटवार करते हुए ये कहेंगी कि पांच सालों में आपने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. प्रियंका गांधी में भी मोदी की तरह भावनात्मक अपील को वोट में तब्दील करने में माहिर हैं. जैसे मोदी खुद को गरीब बताते हैं और चायवाला बताते हैं वैसे ही प्रियंका भी अपने पिता की कुर्बानी का जिक्र कर सकती हैं.

प्रियंका को पूर्वी यूपी की कमान राहुल गांधी ने जिस वजह से दी है उसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है क्योंकि अगर प्रियंका बनारस के चुनाव लड़ती हैं तो यहां पर गठबंधन शायद अपने उम्मीदवार न उतारे. और अगर ये हुआ तो मोदी के लिए यहां से सीट निकालना इस बार मुश्किल हो सकता है. हालांकि इसकी संभावना कम है लेकिन बेल्लारी और रायबरेली के चुनाव में प्रियंका की शैली देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो क्या कर सकती हैं

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