सफर: एक महल है सपनों का
ना ख्वाब देखना गुनाह होता है और ना ख्वाबों को हकीकत में बदलने के लिए जी जान से जुट जाना. लेकिन ना जाने क्यों लोग ख्वाब देखने वालों को हिकारत के साथ देखते हैं. उनका मजाक उड़ाते हैं. दुनिया में नई तमाम मिसालें मिलती हैं जब किसी एक शख्स ने ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी और जब ख्वाब हकीकत बना तो लोग अचंभित थे.
आज हम लेबनान के उस महल के सफर पर चलेंगे जिसे एक शख्स ने सिर्फ इसलिए बनाया क्योंकि वो चाहता था कि उसका एक सपनों का महल हो. लेबनान के बेतद्दाइन महल के बारे में अगर आपने नहीं सुना तो आपको बता दें कि इस महल को 18वीं सदी के आखिर में अमीर बशीर शिहाब द्वितीय की याद में बनाया गया था. इस महल को बनाने वाले कारीगरों के हाथ इसलिए कटवा लिए गए थे क्योंकि इसको बनाने वाले चाहते थे कि ऐसा दूसरा महल ना बनाया जा सके.
बेतद्दाइन महल यूं तो अपने आप में अद्भुत है लेकिन 18वीं सदी के बाद इसकी हालत खराब हो गई थी और फिर 1950 में इस महल की मरम्मत कराई गई. जिन लोगों ने इसकी मरम्मत की उन्हीं में से थे मूसा मामरी, मूसा मामरी का ख्वाब था उनका महल हो. उन्होंने बेतद्दाइन महल के संरक्षक के तौर पर काम किया और महल के पास की ही खाली पड़ी जमीन अपना एक सपनों का महल बनाने का फैसला किया. एक आम आदमी के लिए ये सपना बहुत बड़ा था लेकिन मूसा के सपने में शिद्दत थी. इसी शिद्दत ने मूसा महल को हकीकत किया.
1962 में मूसा मामरी ने अपने महल को बनाना शूरू किया. मूसा के बारे में कहा जाता है कि वो जब पढ़ते थे तो कागज पर महल की तस्वीरें बनाते थे वो अपने महल को लेकर इतने दीवाने थे कि उन्हें कई बार इसके लिए मार भी खानी पड़ी. मूसा ने महल का नक्शा खुद बनाया, खुद ईंटें गढ़ीं, बुत बनाएं, नक्काशी की, मूसा की सालों की मेहनत का नतीजा ये हुआ कि उन्होंने करीब 3500 वर्ग फुट में एक शानदार सपनों का महल बना दिया. इस महल को बनाने के लिए मूसा ने खुद एक एक पत्थर तराशा. जब आप इस महल को देखने जाएंगे तो इस दरवाजे पर लिखा है.
‘मैं यहां एक युवक के तौर पर दाख़िल हुआ था और एक बुज़ुर्ग इंसान के तौर पर बाहर निकला हूं.’
मूसा के महल में 30 से ज्यादा कमरे हैं और करीब 150 बुत हैं जिन्हें उन्होंने खुद बनाया था. सैकड़ों मूर्तियां गढ़ी मूसा ने जिसमें लेबनान की विरासत झलकती है. 1969 में ये महल आम लोगों के लिए खोला गया था और आज ये लेबनान आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे मुफीद सैरगाह है. एक आकंड़े कहता है कि मूसा के खूबसूरत महल को निहारने के लिए रोजना करीब 1 हजार पर्यटक आते हैं. मूसा तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनका बेटा और पत्नी इस महल में रहते हैं.