क्या अखिलेश के आंकड़े में फंस गई बीजेपी ?
अखिलेश यादव और मायावती के साथ आने से क्या होगा ? ये समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े दिखाते हैं. ये आंकड़े ये समझना आसान करेंगे कि क्यों मोदी-शाह मायावती और अखिलेश के गठबंधन को नकार नहीं सकते.
- बीजेपी ने 2014 में 78 सीटों पर चुनाव लड़ा 71 सीटें जीतीं
- समाजवादी पार्टी ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा पांच सीटें जीतीं
- बहुजन समाज पार्टी 80 सीटों पर चुनाव लड़ी सभी पर हारी
- कांग्रेस 66 सीटों पर चुनाव लड़ी सिर्फ 2 सीटों पर जीत पाई
- आरएलडी पश्चिम यूपी की 8 सीटों पर लड़ी सब हार पर हारी
- अपना दल बीजेपी के साथ 2 सीटों पर लड़ा दोनों पर जीता
2014 के लोकसभा चुनाव में BJP को 42.63, SP को 22.35, BSP को 19.77, CON को 7.53 % वोट मिले थे. अब अगर बीजेपी और अपना दल की बात करें तो इस गठबंधन को चुनाव में 43.63% वोट मिले थे. वहीं अगर सपा-बसपा को मिला लें तो 42.12 % वोट मिल सकते हैं, सपा-बसपा-आरएलडी का वोट 42.98 % होता है, सपा-बसपा-कांग्रेस का 46.65 % वोट होता है. सपा- बसपा- कांग्रेस- आरएलडी को मिलाकर 50.51% वोट होता है. यानी अगर महागठंबध हुआ तो बीजेपी के आधी से ज्यादा सीटों का नुकसान तय है. अगस सपा-बसपा-आरएलडी ही मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो भी बीजेपी करारी शिकस्त देने का दम है इस गठबंधन में.
- 1993 में मुलायम-कांशीराम के गठबंधन के बाद एक बार फिर सपा-बसपा फिर साथ
- सपा-बसपा साथ आए तो बीजेपी यूपी की 41 सीटों पर करारी हार मिल सकती है
- गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में हुए लोकसभा उपचुनावों में इस गठबंधन का असर दिखा
साल 2014 में अपना दल और बीजेपी का वोट शेयर एसपी-बीएसपी के कंबाइंड वोट शेयर से ज्यादा था. हर सीट का अगर गहराई से समझने तो एसपी-बीएसपी साथ आने से बीजेपी को सीधे सीधे करीब 41 लोकसभा सीटे गंवानी पड़ेंगी. अगर सपा-बसपा-आरएलडी को जोड़ दें तो ये बीजेपी को 42 सीटों पर हरा सकते हैं. अगर इस गठबंधन के इतिहास में आए तो 1993 के विधानसभा चुनावों में सपा-बसपा साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े थे. दोनों ही पार्टियों ने बराबर सीटें जीतीं थीं. तब उत्तराखंड यूपी का हिस्सा था और बीजेपी ने वहां 19 सीटें जीती थीं.
1993 में आरएलडी चीफ अजीत सिंह जनता दल में थे लेकिन 2019 में वो सपा-बसपा के साथ हैं. उस वक्त कुर्मी और राजभर जैसी OBC जातियों के नेता बसपा में थे लेकिन अब वो अलग अलग हैं. लेकिन एक बात तय है कि ओमप्रकाश राजभर आखिरी समय तक बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे. ऐसे में वो गठबंधन में जा सकते हैं. कुल मिलाकर गठबंधन का गणित ये है कि अखिलेश-मायावती बीजेपी का सफाया करने का दम रखते हैं.