जमूरे चल हो जा शुरू, दिखा खेल कह रहा है गुरू, जमूरा खेल दिखाएगा, मरादी डमरू बजाएगा. चोखेलाल चचा के कानों में जैसे ही मदारी के ये शब्द पड़े वो थोड़ा सीधे होकर बैठ गए. पड़ोस की पान की दुकान पर चचा रोज सुबह पान चबाने आते और देसी नेताओं के चमचों की चिक-चिक चुपचाप सुनकर चले जाते. लेकिन आज झनकू की दुकान पर भीड़ ज्यादा थी और चमचे चांव चांव नहीं कर रहे थे. सबका ध्यान जमूरे पर था जो मदारी के इशारे पर नाच रहा था.

चचा ने झमकू पान वाले से पूछा

ऐ झनकू आज बड़े दिन बाद आओ है जौ खेल वालो कोई खास बात है का

झनकू ने मुस्कराते हुए कहा

चुनाव है चचा जमूरे को नाच चोखो का लाग रहो है

चचा चुपचाप झनकू की बात सुनकर खेल देखने लगे. मदारी ने जमूरे को इशारा किया. इशारा मिलते हुए ही जमूरे ने कुंलाच मारी और रस्सी पर पर चढ़कर खींसे निपोरने लगा. खींसे निपोरना एक विशेष शब्द है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई किसी को चिढ़ाता है. जमूरे की ये हरकत वहां खड़े कुछ लोगों को पसंद नहीं आई और वो भड़क गए.

जे नाय चल पाए गो

बंद करो जौ खेल नाय तो अभी डंडा निकालनैं पड़ैगौ

जमूरे को इस घुड़की का कोई फर्क नहीं पड़ा, उसने खींसे निपोरने की विशेष प्रक्रिया और खेल दिखाना जारी रखा. कभी फांद के इस रस्सी पर, कभी किसी के कंधे पर और कभी मरादी के पास आकर मुस्कुरा देता.

चचा दूर से पूरा खेल देख रहे थे.

ऐ झनकू जे बता जौ जमूरौ मदारी की इतनी बात काहै मानत है. जाहै और काहू को कतई डर नाहे

झनकू ने जवाब दिए बगैर सिर्फ चमचों की ओर इशारा कर दिया. चचा ने चमचों की ओर देखा और सुनने लगे उनकी बातें.

एक ने कहा

एक बात तो तय मानौ इस बार बुरे फंस गए हैं भइया

जितनो सफेद कुर्ता उतनो ही उनको राजनीतिक करियर थो

लेकिन ऐसे फंदा फांसों है तोता से कि अब जवाब देत नाही बन रहो

दूसरे ने कहा

चुप करो चुनाव में पता चलैगो का होत है तोतागीरी

नेतागीरी से तोतागीरी शुरू कर दी है नेतन ने…

अरे कछ्छु बचौ नाहीं तौ का गलत सलत फंसाबौगे

चचा ने झनकू की ओर देखकर सोचा कि नेतागीरी तोतागीरी कब से हो गई.

ऐ झनकू जे नेतागीरी तोतागीरी कब से है गई है

झनकू ने बीए किया था लेकिन स्वरोजगार के चलते उसने पान की दुकान शुरू की थी. मोदी जी की पकौड़ा नीति के तहत नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि झनकू के पिता मनकू भी मशहूर पानवाले थे. हां ये बात और है कि बाद में झनकू पकौड़ा नीति  का उत्कृष्ट उदाहरण बन गया था. कई नेता झनकू का जिक्र अपने भाषणों में करते और उसकी दुकान पर नेता अखबार पढ़ने आते थे. तो झनकू को इस बात की पूरी जानकारी थी कि नेतागीरी तोतागीरी में कैसे तब्दील हुई. झनकू ने झट से चचा को बताया

अरे तबही कात हैं अखबार पढ़ौ करौ

जे तोता सीबीआई है, वौ सुप्रीम कोर्ट ने कहो थो

सो तबहीं सै सब चाहे सरकार को तोता काहत हैं.

जै सब जो नेता होत हैं न जै पिंजरे से तोता तभहीं निकालत हैं

जब चुनाव होत हैं

चचा बड़े ध्यान से झनकू की बात सुने और बिना कुछ बोले मदारी की ओर ध्यान से देखने लगे. मदारी ने जमूरे से कहा

ऐ जमूरे जा सबके पास जा और देख किसका मुकद्दर कैसा है. देख जा…जा..

लेकिन इस बार जमूरा हिला नहीं. वो मदारी की ओर बड़ी ध्यान से देखता रहा. मदारी को ये बात अखर गई और उसने जमूरे जोर से तमाज मारी. कहा

चल हट, तू नहीं है किसी काम का, चट हट, अब बारी है जमूरी की

और झट से जमूरा हटा, नया जमूरा खेल के मैदान में था. खेल शुरू था. चचा को कुछ समझ आया. झनकू से बोले

समझ आए गयो काहे नेतागीरी को आजकल तोतागीरी काहत हैं

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