किसानों के लिए कौन सा मॉडल अपनाएंगे मोदी ?

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‘किसानों को फसल के लिए चार हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से सीधे उनके खातों में दिया जाएगा. प्रति हैक्टेयर एक लाख रुपये की दर से ब्याजमुक्त फसल लोन दिया जाएगा. ‘

मोदी किसानों के बेहतरी के लिए जल्द ही ये एलान कर सकते हैं. 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण के लक्ष्य को निर्धारित किया था, जिसे हासिल किया गया था. इसमें से 70 फीसदी फसल ऋण के रूप में बांटा गया है. मोदी सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगता रहा है लेकिन चुनाव से ठीक पहले मोदी नाखुश किसानों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. यहां सवाल ये है कि क्या मोदी का ये नया मॉडल अन्नदाता को बचाएगा. देश की आबादी का बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर है लेकिन विड़वना ये है कि किसानों की हालात सबसे ज्यादा खराब है. देश के दो राज्यों ने किसानों की खुशहाली के जो कदम उठाए हैं उनकी भी चर्चा हो रही है. तेलंगाना और मध्यप्रदेश ने किसानों के लिए जो कदम उठाए हैं उनसे उम्मीद बंधी है.

आत्महत्या, कर्ज और पलायन ने  खेती से लोगों का मोहभंग कर दिया है. पिछले 2 दशकों में करीब तीन लाख किसानों ने खुदकुशी की है. सरकारें किसान हितैषी होने का दम तो भरती हैं लेकिन करती कुछ नहीं किसान चाहते हैं

फसल का सही दाम सुनिश्चित हो जाए तो आधी समस्या हल हो जाएगी.

सिंचाई के लिए पानी मिल जाए सब ठीक हो जाएगा.

बेमौसम बारिश फसलों को नुकसान पहुंचाए तो सरकार मदद कर दे.

किसानों की समस्या का समाधान कर्जमाफी में नहीं है. लेकिन सियासी जमात को कर्जमाफी चुनाव जीतने का जरिया लगने लगी है. अगर पूर्ण कर्जमाफी हो जाए तो सरकारी खजाने पर लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. लिहाजा ये करना ठीक नहीं होगा. तो सरकार किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने की योजना लागू कर सकती है.

तेलंगाना और एमपी मॉडल

एमपी में भावांतर भुगतान योजना और तेलंगाना मॉडल को थोड़ा बहुत सुधारकर राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है. तेलंगाना में सरकार फसलों की बुआई से पहले प्रति एकड़ तय राशि सीधे खाते में भेजकर किसानों को लाभ दिया जा सकता है. यहां किसानों को प्रति वर्ष प्रति फसल 4000 रुपये एकड़ की राशि दी जाती है. दो फसल के हिसाब से किसानों को हर साल 8000 रुपये प्रति एकड़ मिल जाते हैं. झारखंड और ओडिशा भी अब इसी तरह की योजना शुरू कर रहे हैं. मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना में यदि कृषि उत्पाद की बिक्री मूल्य अधिसूचित मूल्य से अधिक है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से कम है, तो उनके बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच का अंतर किसान के बैंक खाते में सीधे जमा किये जाने का प्रावधान है.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भी प्रभावी साबित नहीं हुई है.केन्द्रीय कृषि राधामोहन सिंह का कहना है कि 2019 के अंत तक हर खेत को पानी मिलने लगेगा.वैसे, समस्या और समाधान के बीच झूलते किसान को 2019 से उम्मीद रखनी चाहिए क्योंकि यह चुनावी साल है. तीन राज्यों में हुए चुनाव के बाद किसान और उनकी समस्या केंद्र सरकार के केंद्र में हैं.

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