योगी जी 2019 में ये शैली तो नहीं चलेगी !
योगी की शैली को पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने खूब भुनाया है. लेकिन बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी को योगी के कैंपेन का फायदा नहीं मिला. छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनावों में में योगी बीजेपी के स्टार कैंपेनर थे. स्टार कैंपेनर की सूची में मोदी, शाह के बाद योगी का नंबर तीसरा था लेकिन जानकारों कह रहे हैं कि योगी की शैली को बीजेपी का नुकसान हुआ है.
राष्टीय नेता के तौर पर हुआ उभार
गोरखपुर के सांसद से, यूपी के सीएम बनने के बीच में योगी की जो छवि थी उसका फायदा उन्हें हुआ है और इसका फायदा बीजेपी ने उठाने की कोशिश की थी लेकिन हिंदूवादी फायब्रांड नेता की छवि को शायद मतदाताओं ने नकार दिया है. त्रिपुरा, गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यना ने जमकर प्रचार किया और यहां उन्हें कामयाबी भी मिली. धीरे धीरे योगी क्षेत्रीय नेता की छवि से निकलकर राष्ट्रीय नेताओं में शुमार हो गए. लेकिन अब इसका असर ये हुआ कि योगी की सभी राज्यों की स्थानीय लीडरशिप ने प्रचार के लिए मांग की. अगर 2018 की सबसे चर्चित 10 हस्तियों की बात करें तो योगी नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और अमित शाह के बाद तीसरे नंबर पर आते हैं.
बीजेपी को कैसे हुआ नुकसान ?
अयोध्या, इलाहाबाद का नाम बदला, गौ प्रेम दिखाया, दीपोत्सव मनवाया और ‘अली बजरंगबली’ का राग अलापा. हनुमान की जाति बताई. ये कुछ प्रमुख काम हैं जो योगी ने निरंतर किए हैं. बीजेपी को लग रहा था कि योगी की ये शैली उसे फायदा पहुंचाएगी लेकिन हुआ उल्टा. राजस्थान में 26, छत्तीसगढ़ में 23 मध्य प्रदेश में 17 और तेलंगाना में 8 चुनावी सभाएं का आंकलन करें तो पता चलेगा कि बीजेपी को इसका फायदा नहीं हुआ. ऐसे वक्त में जब योगी को मोदी के बराबर पेश करने की कोशिश हो रही है तब योगी की फ्लॉप होना क्या कहता है. क्योंकि जिस छत्तीसगढ़ में योगी ने 23 सभाएं की वहां बीजेपी को 23 सीटें नहीं मिलीं. अगर 2019 में भी बीजेपी ने योगी की शैली में कैंपेन किया तो आप समझ सकते हैं कि ये क्या होगा ?