कमलनाथ क्यों बनाए गए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री?

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मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए कमलनाथ ने केंद्र में भी काफी काम किया है. यही वजह थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें मध्यप्रदेश की कमान दी. छिंदवाड़ा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ की ताजपोशी से कांग्रेस ने एमपी में सत्ता हासिल करने का ख्वाब देखना शुरू किया.

एक कुशल नेता हैं कमलनाथ

18 नवम्बर 1946 को यूपी के कानपुर में पैदा हुए कमलनाथ ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई की और कोलकाता के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की. ये तीनों राज्य देश की राजनीति में रसूख रखते हैं. 34 साल की उम्र में कमलनाथ छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. दिल्ली में जिस दफ्तर में वो बैठते थे वो 24 घंटे खुला रहता था और चुनाव अभियानों के लिए हेलीकॉप्टरों और सैटेलाइट फोन इस्तेमाल करने वाले वो शुरूआती नेता थे.

गांधी परिवार के हमेशा करीब रहे

कमलनाथ का मध्यप्रदेश से सिर्फ सियासी संबध है. गांधी परिवार की करीब के बारे में कहा जाता है कि कलमनाथ संजय गांधी के बहुत अच्छे दोस्त थे. दोनों की दोस्ती दून स्कूल के दौरान शुरू हुई थी और संजय गांधी की मौत तक चलती रही. उसके बाद भी कमलनाथ का गांधी परिवार से रिश्ता खत्म नहीं हुआ. इन दिनों राहुल गांधी के करीबियों में उनकी गिनती होती है.

साफ छवि के नेताओं में होते हैं शुमार

कमलनाथ अपनी इमेज के लिए हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि हवाला कांड में नाम आने की वजह से वो 1996 में आम चुनाव नहीं लड़ पाए थे, उनकी जगह पर उनकी पत्नी अलका चुनाव लड़ी और उन्हें बड़ी जीत मिली थी. इस कांड में बरी होने के बाद उनकी पत्नी ने छिंदवाड़ा की सीट से इस्तीफा दे दिया और कमलनाथ ने वापस वहां से चुनाव लड़ा लेकिन वो बीजेपी के सुंदरलाल पटवा से हार गए. 1984 के सिख दंगों में भी कमलनाथ का नाम उछला लेकिन वो बेदाग निकले.

छिंदवाड़ा में कमलनाथ हारते क्यों नहीं है

छिंदवाड़ा एक आदिवासी इलाका है लेकिन यहां से कमलनाथ लगातार 7 बार लोकसभा पहुंच चुके हैं. इसकी वजह है रोजगार, कमलनाथ ने यहां लोगों को रोजगार दिया और आदिवासियों के उत्थान के लिए कई काम किए. कमलनाथ उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वन और पर्यावरण मंत्रालय, सड़क और परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. और खुद 23 कंपनियों के मालिक हैं, जो उनके दोनों बेटे चलाते हैं.

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