राजस्थान: सीएम पद की मारामारी का पूरा सच

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क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा सूबा है. सीमा से सटा हुआ है और इसकी हिन्दुस्तान की राजनीति में काफी अहमियत हमेशा ही रही है. आजादी से पहले और अंग्रेजों से भी पहले ये राज्य अहम रहा है. 30 मार्च 1949 को जब राजस्थान के उद्घाटन की तैयारियां चल रही थीं तभी यहां राजनीति शुरू हो गई थी. और यहां सा सत्ताधीश बनने के लिए खींचतान शुरू हो गई.

राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री के लिए हुई थी खूब खींचतान

  1. हीरालाल शास्त्री की शपथ से पहले जयनारायण व्यास और माणिक्यलाल वर्मा नाराज हो गए
  2. जयनारायण व्यास और माणिक्यलाल वर्मा, गोकुलभाई भट्ट को सीएम बनवाना चाहते थे
  3. 3 महीने बाद ही प्रदेश कांग्रेस समिति ने भारी बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित किया
  4. शास्त्री ने जयनारायण व्यास समेत उनके दो सहयोगियों पर विशेष न्यायालय में केस किया
  5. सरदार पटेल का निधन के बाद शास्त्री को अप्रैल,1951 में ये जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी
  6. शास्त्री के बाद जयनारायण व्यास सीएम बने और 1952 के पहले दो क्षेत्रों हार गए
  7. राजस्थान को टीकाराम पालीवाल की शक्ल में कांग्रेस की तरफ से तीसरा मुख्यमंत्री मिला.
  8. 8 महीने की खींचतान के बाद नवंबर,1952 में फिर से जयनारायण व्यास सीएम हो गए.
  9. कुंभाराम आर्य और मथुरादास माथुर ने व्यास की जगह मोहनलाल सुखाड़िया को आगे किया.
  10. व्यास को नवंबर, 1954 में सत्ता छोड़नी पड़ी और सुखाड़िया पांचवें मुख्यमंत्री बने.
  11. 17 साल तक मोहनलाल सुखाड़िया इस पद पर बने रहे उनको हटाया नहीं जा सका.
  12. कुंभाराम आर्य, नाथूराम मिर्धा और माथुरदास माथुर जैसे नेताओं ने साजिशें खूब की.
  13. 1971 में पहला पैराशूट और अल्पसंख्यक यानी बरकतुल्लाह ख़ान यहां सीएम बने.
  14. 1973 में ख़ान के असामयिक निधन के बाद हरिदेव जोशी ने बागडोर संभाली.
  15. जोशी को सीएम बनाने आज भी राज है, उन्होंने रामनिवास मिर्धा को हराया था.
  16. अप्रैल, 1977 में राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, इमरजेंसी लगी
  17. जनवरी, 1978 में कांग्रेस के दो फाड़ हो गए. कांग्रेस कमजोर होने लगी
  18. तब अशोक गहलोत ने रेड्डी कांग्रेस को चुना, बाद कांग्रेस (आई) में शामिल हुए
  19. 1980-1985 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में रही, पार्टी ने 3 सीएम बदले.
  20. 1980 में संजय गांधी के करीबी जगन्नाथ पहाड़िया को मुख्यमंत्री चुना गया.
  21. 1981 में शिवचरण माथुर को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया.
  22. 1985 में माथुर के आधी रात में इस्तीफे के बाद हीरालाल देवपुरा सीएम बने.
  23. 1985 के चुनाव के बाद हरिदेव जोशी पार्टी आलाकमान को लुभाने में सफल रहे.
  24. 1988 में जोशी से पद छीन लिया गया और शिवचरण माथुर सीएम बनाए गए.
  25. 1989 में माथुर के विरोधियों ने उन्हें हटा दिया और हरिदेव जोशी सीएम बनाए गए.
  26. दिसंबर, 1998 में कांग्रेस 153 विधायकों के साथ रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया.
  27. 153 विधायकों का जिताने में अशोक गहलोत की पीठ थपथपाई गई वो प्रदेशाध्यक्ष थे.
  28. चुनाव के बाद परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री बनने के लिए आश्वस्त थे.
  29. मदेरणा के बाद नवलकिशोर शर्मा और शिवचरण माथुर भी कतार में खड़े हुए थे.
  30. इस बार अशोक गहलोत ने चातुर्य दिखाया और राजस्थान के सीएम बन गए.
  31. गहलोत के सीएम बनने से प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी वाला जाट कांग्रेस से बिदक गया. मदेरणा ने भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के आमंत्रण को नकार दिया.
  32. 2008 के चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और सीपी जोशी के बीच मुकाबला था.
  33. जोशी एक वोट से चुनाव हार गए. गहलोत के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया
  34. कहा जाता है कि इस चुनाव में सीपी जोशी की पत्नी ने वोट नहीं डाला था
साभार – गूगल

तो ये है राजस्थान में कांग्रेस के सीएम चुनने का इतिहास तो फिर इस बार क्यों न सीएम को लेकर संकट हो. वैसे भी पिछले करीब चार साल से प्रदेश कांग्रेस दो प्रमुख धड़ों में बंटी हुई है एक की अगुवाई सचिन पायलट कर रहे हैं और दूसरे की अशोक गहलोत.

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