व्यंग: हमारे गांवों के नाक की लौंग खो गई है, वे किससे पूछे
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! हमारे गांवों के नाक की लौंग खो गई है, वे किससे पूछे सिट्टी पिट्टी...
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! हमारे गांवों के नाक की लौंग खो गई है, वे किससे पूछे सिट्टी पिट्टी...