हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम को दोबारा मस्जिद में क्यों बदला गया?
1500 साल पुरानी यूनेस्को की हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम विश्व विरासत मूल रूप से मस्जिद बनने से पहले चर्च था और 1930 के दशक में म्यूज़ियम बना दिया गया था. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने पिछले साल चुनाव में इसे मस्जिद बनाने का वादा किया था.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस्तांबुल ने डेढ़ हज़ार साल पुराने चर्च को पहले मस्जिद, फिर म्यूज़ियम बनाया गया, अब फिर मस्जिद बनाने का फ़ैसला किया गया है. इससे पहले शुक्रवार को ही तुर्की की एक अदालत ने हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम को मस्जिद में बदलने का रास्ता साफ़ कर दिया था. कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि हागिया सोफ़िया अब म्यूज़ियम नहीं रहेगा और 1934 के कैबिनेट के फ़ैसले को रद्द कर दिया.
तुर्की का हागिया सोफ़िया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है. इसे छठी सदी में बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन के हुक्म से बनाया गया था. यह संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक मामलों की संस्था यूनेस्को के विश्व धरोहरों की सूची में आता है. जब उस्मानिया सल्तनत ने 1453 में क़ुस्तुनतुनिया (जिसे बाद में इस्तांबुल का नाम दिया गया) शहर पर क़ब्ज़ा किया तो इस चर्च को मस्जिद बना दिया गया था.
पहले विश्व युद्ध में तुर्की की हार और फिर वहां उस्मानिया सल्तनत के ख़ात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा का शासन आया. उन्हीं के शासन में 1934 में इस मस्जिद (मूल रूप से हागिया सोफ़िया चर्च) को म्यूज़ियम बनाने का फ़ैसला किया गया. इस्तांबूल में बने ग्रीक शैली के इस चर्च को स्थापत्य कला का अनूठा नमूना माना जाता है जिसने दुनिया भर में बड़ी इमारतों के डिज़ाइन पर अपनी छाप छोड़ी है.
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