राजस्थान: कोरोना संकट में गांव “आत्मनिर्भर” कैसे बनेंगे?
‘एक तरफ तो इनमें वह लोग हैं, जो संक्रमित हैं, उन्हें उपचार की आवश्यकता है. दूसरे इन्हीं के परिवार और पड़ोस के लोग हैं, जिन्हें संक्रमित होने से बचाना है. दोनो भयभीत हैं. सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है. किन्तु उतना पर्याप्त नहीं है. समाज को भी आगे आकर सहयोग करना होगा, तभी इस संकट को समाप्त किया जा सकता है’
तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक डा.चन्द्रशेखर प्राण ने बड़े ही साफ शब्दों में अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार जितना कर रही है वह पर्याप्त नहीं है. कोरोना संकट से निपटने के लिए समाज को भी आगे आकर लड़ना होगा. और गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संघर्ष करना होगा. डॉक्टर प्राण ने यह बात एक वेबीनार में कही. इस कार्यक्रम में प्रदेश के कई जिलों से पंचायत प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधि, लेखक, चिंतक और पत्रकार शामिल हुए थे. इसके अलावा इसमें पूर्व सांसद डा महेश चन्द्र शर्मा, दिल्ली की म्यूनिसिपल कमिश्नर डा रश्मि सिंह , मिशन समृद्धि के संस्थापक श्री अरुण जैन, श्री योगेश एंडले, गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार से श्री वीरेश्वर उपाध्याय, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संगठन मन्त्री श्री वासवराज पाटिल और ख्यातिप्राप्त महिला सरपंच सुश्री छवि राजावत भी शामिल हुईं.
कार्यक्रम की शुरुआत में स्थानीय संयोजक श्री रामदयाल शर्मा ने की. कार्यक्रम में बोलते हुए डॉक्टर प्राण ने कहा कि देश के लिए और हमारे गांव के लिए यह मुश्किल समय है. उन्होंने कहा के संकट के समय में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. हजारों लाखों लोग जो एक राज्य से दूसरे राज्य रोजी-रोटी कमाने के लिए जाते थे वह अपने गांव वापस लौट आए हैं. और यह एकदम सही समय है जब हमारे गांव आत्मनिर्भर बने. गांव लौटे मजदूरों को इस समय मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तीसरी सरकार गांव को सशक्त बनाने के लिए लगातार मंथन कर रही है. और गांव लौटे मजदूरों की मदद कर रही है.
ग्राम सभाओं को सशक्त करने से बनेगी बात
कार्यक्रम में बोलते हुए महेश चन्द्र शर्मा ने कहा, सरकार उसे कहते हैं, जिसमें तीनों पालिकाएं होती हैं, अर्थात विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका से सज्ज हो. संविधान में ग्राम सभा है लेकिन ग्राम सभा होने में दशकों लग जाएंगे . गांव के लिए कानून बनाने का काम ग्राम सभा सदस्यों को करना चाहिए. ग्राम सभा का अस्तित्व होगा, तभी तीसरी सरकार अस्तित्व में आयेगी. इस संविधान संशोधन को समझें और प्रयास करें कि गांव में ग्राम सभा हो यदि नहीं होती तो इसकी शिकायत पैदा करें. राजस्थान पंचायत के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश रहा है. यहां की पंचायत की लीडरशिप ताकतवर है. किन्तु सरपंच ग्रामसभा को अपनी ताकत नहीं मानता जब तक वह ग्राम सभा को अपनी ताकत नहीं बनाएगा तब तक वह सरकार के रूप में काम नहीं कर पाएगा.
मानसिक गुलामी को हटाना होगा
इसके बाद “मिशन समृद्धि ” के संस्थापक श्री अरुण जैन ने कहा कि शहर में ही नहीं गांव में भी स्टार्टअप हो सकते हैं. किसान भी उद्यमी है. अब शहर दो घंटे की दूरी पर हैं. गांव में उत्पादन कर शहर में बेचा जा सकता है. मिडिल मैन को निकाल सकें तो ज्यादा फायदा मिल सकता है. आध्यात्मिक संस्था गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के वरिष्ठ विचारक श्री वीरेश्वर उपाध्याय ने कहा कि तीसरी सरकार अभियान का प्रयास अच्छा है आप स्वावलंबी भारत का निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं. हम भारत को स्वावलंबी बनाने वाले लोग हैं, या अपनी आवश्यकता तक सीमित हवसी लोग हैं, जो अनाप शनाप कमायी कर रहे हैं. गांव के लोग यदि जीवन दाता हैं तो वह पिछड़े क्यों कहलाते हैं. यह धारणा बदलनी होगी. मानसिक गुलामी हटनी चाहिए. नयी तकनीक और तरीके से कृषि क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है.
सरकारी योजनाओं का कन्वर्जन करना होगा
दिल्ली की म्युनिसिपल कमिश्नर सुश्री रश्मि सिंह ने कहा कि सरकारी योजनाओं का कन्वर्जन करके हम वंचित वर्ग तक लाभ पहुंचा सकते हैं. शिक्षा, आत्मनिर्भरता और कन्वर्जन, यह तीन ऐसी चीजें हैं,जिनसे बदलाव लाया जा सकता है. हम समग्र विकास और ग्राम स्वराज्य की बात कर रहे हैं.
‘तीसरी सरकार अभियान एक अच्छा मंच है ‘
साडा ग्राम पंचायत की सरपंच सुश्री छवि राजावत के अनुसार तीसरी सरकार अभियान एक अच्छा मंच है. हम लोगों को मिलकर काम करना चाहिए. एक कॉमन एजेंडा और माइंडसेट बनना चाहिए. मुख्य रूप से पंचायती राज के सशक्तिकरण के लिए काम करने की आवश्यकता है.
श्री प्रेमभट्ट ने राजस्थान में पानी की कमी पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां वर्षा होती है लेकिन हम उस जल को बचा नहीं पाते।जल संरक्षण के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा. यदि जल होगा तो कई कार्य किए जा सकते हैं. चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता श्री विजय सिंह पालीवाल ने कहा कि जनसुनवाई में अर्जी लगाने पर भी समाधान नहीं होता. सरकार दबाव में काम करती है. जिसका दबाव होता है, उसका काम हो जाता है. इस संकट काल में भी देखिए कि सबसे पहले सरकार ने शराब और गुटके का व्यापार ही खोला गया. इसलिए दबाव बनाना चाहिए, एक प्रेशर ग्रुप बनना चाहिए.
गांव में समूह बनाकर काम करने की जरूरत है
सुश्री स्निग्धा वैष्णव ने कहा की की राज्य सरकार पर निर्भरता समाप्त होनी चाहिए. स्वयं प्रयास करना होगा. विचार- विमर्श और संवाद करने की पहल बहुत सराहनीय है. इसी से रास्ता निकलेगा. प्रत्येक जिले मे कुछ गांव का चयन किया जाय और प्रत्येक गांव में 10 व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें समूह में समूह जोड़ा जाय. इसमें चर्चा की जाय कि गांव वालों की क्या समस्याएं हैं. इसके निष्कर्ष के आधार पर कार्य की योजना बनायी जाय. डॉ प्रदीप पूनिया के अनुसार इस तरह के संवाद के रुप में एक सार्थक शुरुआत हुई है. मनरेगा में नये प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है. कुशल मजदूर गांव में वापस आए हैं, उनका ग्रामोत्थान की दृष्टि से उपयोग किया जा सकता है. श्री गोपाल सिंह परमार ने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए ग्रामीण स्तर पर कुछ नया प्रयास करने पर जोर देते हुए बताया कि राजस्थान में पानी की समस्या है .पानी के कारण लोग बाहर जाते हैं, पानी संरक्षित होगा तो रोजगार के अवसर बनेंगे. इसके बाद नेहरु युवा केंद्र की पूर्व राज्य निदेशक सुश्री अनिता भारती तथा श्री रामदयाल ने सभी साथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया और कहा कि इस चर्चा के आधार पर आगे बढा जायेगा.
सहमति से लिए गए यह निर्णय
1- प्रत्येक जिले में एक समूह बनाया जाए और उनके माध्यम से इस विचार विमर्श तथा इसके निर्णयों कार्य शुरू दिया जाय.
2- राज्य स्तर पर एक कोर ग्रुप बनाया जाय.
3- इसके लिए एक स्पष्ट रणनीति तथा प्रभावी कार्य योजना बनाकर , उसमें सब का सहयोग और समर्थन लिया जाए.
4- राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग करने के लिए सभी साथी अपने स्तर पर तत्काल कार्य शुरू करें तथा महामारी से बचाव के लिए जागरूकता की जाय.
5- शीघ्र ही फालोअप मीटिंग आयोजित कर आगे की कार्ययोजना एवं रणनीति तैयार की जाय.
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