विदेशी सांसदों को मोदी से मिलवाने और कश्मीर घुमाने के लिए भारत लाने वाली मादी शर्मा कौन हैं?
यूरोपीय यूनियन के 23 सांसदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कश्मीर घुमाने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाने के लिए भारत लाने वाली मादी शर्मा सुर्खियों में हैं. वो कभी समोसे बेचा करती थी लेकिन आजकल वह एक एनजीओ चलाती हैं जो पूरी दुनिया में महिला सशक्तिकरण के लिए काम करता है.
जिस ग़ैर सरकारी संगठन ‘विमेन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक’ ने इन सांसदों का भारत दौरा आयोजित किया है. माधवी शर्मा उस एनजीओ की संचालिका हैं. भारतीय मूल के ब्रितानी नागरिक मादी शर्मा दावा करती है कि उनका एनजीओ अफ्रीका यूरोप और भारत सरकार के साथ मिलकर काम करता है.
मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को भारत दौरे के लिए आमंत्रित करते हुए जो पत्र लिखा था उसमें उन्होंने लिखा था कि भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कराई जाएगी और कश्मीर का दौरा कराया जाएगा. भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से ये किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का पहला कश्मीर दौरा है. कांग्रेस और एनसीपी जैसे विपक्षी दलों ने इसे मोदी सरकार का प्रायोजित दौरा बताया है.
यूरोपीय संघ के इन सांसदों ने 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशिष्ट मुलाकात की थी जिसकी तस्वीर भी प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की. इस दौरे के लिए यूरोपीय संघ के सांसद क्रिस डेविस को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने स्वतंत्र रूप से कश्मीरी लोगों से मिलने के लिए कहा था और बाद में उनका आमंत्रण रद्द कर दिया गया. क्रिस डेविस को मादी शर्मा की ओर से भेजे गए निमंत्रण ईमेल से पता चलता है कि सांसदों की यात्रा का ख़र्च भारत के ही ग़ैर सरकारी संगठन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ नॉन अलाइंड स्टडीज़ ने उठाया है.
मादी शर्मा कौन है?
यूरोपीय सांसदों का यह दौरा निजी हैसियत से था. लेकिन मादी शर्मा कौन है अब सभी के जेहन में यह सवाल है. मादी शर्मा का नाम मधु शर्मा भी है. यूरोपीय संघ की आर्थिक और सामाजिक संस्था की सदस्य हैं यह संस्था ऐसी है जिसमें सामाजिक क्षेत्र और आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग जुड़े होते हैं. सदस्य के तौर पर ईईएससी में दिए हलफ़नामे में अपना परिचय देते हुए माडी शर्मा ने ख़ुद को माडी ग्रुप की संस्थापक, आंत्रेप्रेन्योर, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, लेखक, सलाहकार, बिज़नेस ब्रोकर, ट्रेनर और विशेषज्ञ बताया है.
शर्मा का एनजीओ विमेंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक ही यूरोपीय सांसदों को भारत लेकर आया है. यूरोपीय संघ के पारदर्शिता कार्यालय में दर्ज दस्तावेज़ों के मुताबिक इस एनजीओ की स्थापना सितंबर 2013 में हुई थी. माधवी शर्मा इस एनजीओ की निदेशक और संस्थापक हैं. उनके अलावा इसमें 3 लोग और जुड़े हुए हैं. यानी कुल 3 लोग इस थिंकटैंक को चलाते हैं. काग़ज़ों में ये संगठन दुनियाभर में महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने का दावा करता है लेकिन इसकी वेबसाइट पर इसके सबूत नज़र नहीं आते. ना ही ज़मीन पर किए गए कार्यों का कोई ब्यौरा दिया गया है.
यूरोपीय संघ के ट्रांसपेरेंसी रजिस्टर से हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में इस संगठन का वार्षिक बजट 24 हज़ार यूरो यानी लगभग 19 लाख भारतीय रुपए था. मादी शर्मा ने सांसदों को भेजे अपने निमंत्रण में कहा था कि आने जाने का ख़र्च भारत स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइड स्टडीज़ (आईआईएनएस) उठाएगा. आईआईएनएस एक ग़ैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1980 में की गई थी. हालांकि संगठन की वेबसाइट पर इसके संचालकों या सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं है. संगठन के संस्थापक पत्रकार गोविंद नारायण श्रीवास्तव थे.
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ये समूह ‘न्यू डेल्ही टाइम्स’ नाम का एक साप्ताहिक अख़बार और ‘न्यू डेल्ही टाइम्स डॉट कॉम’ नाम से एक वेबसाइट भी संचालित करता है. मादी शर्मा इस अख़बार में यूरोपीय संघ संवाददाता की पहचान के साथ लेख लिखती रही हैं. मादी शर्मा मैं इससे पहले यूरोपीय संघ के सांसदों को मालदीप द्वारा कराया था जो सवालों में रहा थायूरोपीय संघ का जो प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर आया है उसमें दो सांसद वह भी है जो मालदीव के दौरे पर गए थे. यूरोपीय संघ के इस दौरे को लेकर यूरोपीय संघ में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि यह आधिकारिक द्वारा नहीं है सभी सांसद अपनी निजी हैसियत से यह दौरा कर रहे हैं.