राजस्थान की दो विधानसभा सीटें जहां मुसलमान अहम हो गए हैं ?
राजस्थान में इस बात को लेकर माथापच्ची हो रही है कि मुसलमान मतदाता किस तरफ जाएंगे. राज्य में दो सीटें टोंक औऱ झालरापाटन सबसे अहम हैं दोनों ही सीटों पर मुसलमान मतदाओं की अच्छी खासी तादाद है. टोंक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और वसुंधरा सरकार में नंबर दो कहे जाने वाले यूनुस ख़ान के बीच मुकाबला है. झालरापाटन में सीएम वसुंधरा राजे और पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे और हाल ही में भाजपा से बाग़ी हुए मानवेंद्र सिंह के बीच कांटे की टक्कर है.
झालरापाटन में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 45 से 50 हजार है. संघ के दबाव के बावजूद राजे ने अपने पहले कार्यकाल 2003-08 में मुस्लिम नेताओं और अधिकारियों को खूब मौके दिए थे. राजे सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री आवास दोनों की ही कमान मुसलमानों के हाथ में रहती थी. लेकिन 2013-18 में राजे अपनी इस खूबी को पूरी तरह भुनाने में नाकाम रहीं
कुछ घटनाएं जो राजे के लिए मुश्किल बनीं
- 2014 में अलवर में पुलिस की कार्रवाई में आरिफ़ खान नाम के युवक की मौत हुई
- 2017 में अलवर में डेयरी कारोबारी पहलू ख़ान को भीड़ ने गोवंश तस्करी के शक मारा
- अलवर जिले में उमर मोहम्मद नाम के युवक को गोतस्करी के शक में मार दिया गया
- 2017 में प्रतापगढ़ में नगर परिषद कर्मचारियों पर ज़फ़र हुसैन की हत्या का आरोप लगा
- राजसमंद में मोहम्मद अफराजुल की शंभूलाल रैगर ने हत्या करते वीडिया शेयर किया
- जोधपुर में रामनवमी के मौके पर शंभूलाल की झांकी भगवान राम के साथ निकाली गई
क्या इन घटनाओं ने मुसलमान मतदाताओं को राजे से मुंह मोड़ने पर मजबूर कर दिया है. और इसका फायदा झालरापाटन में मानवेंद्र सिंह को मिलेगा. ये सवाल अहम हो गया है.
क्या झालरापाटन में मानवेंद राजे पर भारी पड़ेंगे?
झालरापाटन में करीब 18 हजार वैश्य, 17 हजार गुर्जर, 14 हजार राजपूत, 18 हजार सोंधिया राजपूत और लगभग 28 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं और मुसलमान मतदाताओं की अच्छी तादाद है
दूसरी महत्वपूर्ण सीट है टोंक
टोंक सीट पर 70 हजार मुस्लिम समुदाय के वोट हैं और दोनों ही पार्टियां इन मतदाओं को अपने पाले में लेना चाहती हैं. बीजेपी ने यहां से यूनिस खान को मैदान में उतारा है. यूनिस बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हैं.
टोंक के पूर्व नवाब सचिन पायलट को समर्थन दे चुके हैं तो कुछ प्रमुख क़ाजियों औरमौलवियों के यूनुस ख़ान के साथ होने की चर्चा है. दिलचस्प ये है कि पायलट और ख़ानदोनों ही टोंक से नहीं आते. सचिन पायलट का कर्मक्षेत्र अजमेर है तो यूनुस ख़ान कानागौर में पड़ने वाला डीडवाना है. मुसलमानों के अलावा टोंक में करीब 35 हजार दलितमतदाता हैं करीब 45 हजार वोट गुर्जरों के हैं.
सचिन पायलट ‘लड़ाका’ कहे जाने वाले गुर्जर समुदाय से ही आतेहैं तो कांग्रेस को उम्मीद है कि ये वो उन्हें ही मिलेंगे.