सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार होना चाहिए
भारत में नई शिक्षा नीति को लेकर हो रहे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में दाखिले से जुड़े एक मामले में अहम बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र और केंद्र सरकार न सिर्फ फटकार लगाई बल्कि ये भी कहा है कि देश में समूची शिक्षा प्रणाली में सुधार होना चाहिए ताकि विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन करते समय छात्रों को परेशानी का सामना न करना पड़े.
महाराष्ट्र में मेडिकल और डेंटल के पीजी कोर्सेज में दाखिले से जुड़ी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि देश में समूची शिक्षा प्रणाली दुरुस्त की जानी चाहिए ताकि विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन करते समय छात्रों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. इस मामले में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एमआर शाह की अवकाश पीठ ने महाराष्ट्र और केंद्र सरकार को फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019-2020 के शैक्षणिक सत्र में पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के मामले में सुनवाई की है. इस सुनवाई के दौरा सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की. अवकाश पीठ ने कहा है कि जो छात्र टेलेंटेड हैं उन्हें दाखिले में काफी परेशानी होती है. पीठ ने कहा,
‘हमारी चिंता छात्रों को लेकर है. यह हर साल होता है और मेडिकल या दूसरे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के बारे में छात्रों के दिमाग में अनिश्चितता बनी रहती है. आप समूची शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त क्यों नहीं करते? छात्रों के लिए यह तनाव और चिंता क्यों? यह सब मुकदमेबाजी क्यों? हम राज्यों और केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि छात्रों की दशा पर गौर करें. प्रवेश को लेकर अनिश्चितता का अभ्यर्थियों के पूरे करिअर पर प्रभाव पड़ता है.’
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने 14 जून तक अंतिम दौर की काउंसलिंग पूरी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि महाराष्ट्र में इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है वो ‘जनहित अभियान’ नामक संगठन के विरोध के बाद दाखिल की गई थी. इस संगठन ने महाराष्ट्र में मेडिकल व डेंटल पीजी दाखिलों में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण देने का विरोध किया है और इसे रद्द करने की मांग की.