‘मोदी को क्लीन चिट देने का फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया गया’
चुनावी रैलियों में विवादित बयानों की वजह से आचार संहिता के दायरे में आए पीएम मोदी को चुनाव आयोग ने क्लीन चिट दे दी है. लेकिन उन्हें क्लीन चिट देने वाला चुनाव आयोग इस मामले में एकमत नहीं था. एक रिपोर्ट की मानें नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने का फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया गया.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक चुनाव आयोग ने ये फैसला 2-1 के बहुमत से लिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग अधिनियम, 1991 की धारा-10 के मुताबिक ‘जहां तक संभव हो चुनाव आयोग का कामकाज सबकी सहमति से चलना चाहिए’. इस प्रावधान के मुताबिक अगर किसी मामले में ‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों में मतभेद हो तो ऐसे मामले में बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाना चाहिए’.
नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अलावा दो अन्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने इस बारे में वोटिंग की थी. अखबार ने बताया इनमें से एक आयुक्त प्रधानमंत्री के पक्ष में नहीं थे. चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को जिन बयानों में क्लीन चिट दी है उसमें उनका वो भबयान भी शामिल था जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष बहुसंख्यकों वाले चुनावी क्षेत्रों से भाग रहे हैं और उन इलाकों (वायनाड) में चुनाव लड़ रहे हैं जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्यक हैं.
पीएम ने ये बयान एक अप्रैल को वर्धा में दिया था. आयोग को मोदी के इस बयान में जिन प्रतिनिधि कानून की संबंधित धाराओं का उल्लंघन नहीं दिखा था. इसके अलावा पीएम ने लातूर में कहा था कि देश के नए मतदाता वोट देते समय पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों और बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम देने वाले वीर पायलटों को ध्यान में रखें. चुनाव आयोग ने भाजपा के सबसे बड़े नेता के इस बयान को भी क्लीन चिट दे दी.