मसूद अजहर पर UNSC में चीन का ‘टैक्निकल होल्ड’ क्या भारत की कूटनीतिक हार है ?
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को एक बार फिर चीन ने बचा लिया है. यूएन में मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए लगाए गए प्रस्ताव पर चीन ने आखिरी वक्त पर आपत्ति जाहिर कर दी है.
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को चीन ने टैक्निकल होल्ड के जरिए बचा लिया है. अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन मसूद को आतंकियों के ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए प्रस्ताव लाए थे लेकिन आखिरी वक्त पर चीन ने इसे वीटो कर दिया. इससे पहले भी चीन मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने को टैक्निकल होल्ड के जरिए अड़गा लगा चुका है. चीन का ये वीटो 9 महीने तक रहेगा यानी अब 9 महीने बाद ही कोई प्रस्ताव लाया जा सकेगा.
नहीं मानी अमेरिका की बात
अमरीकी सरकार ने बीते मंगलवार को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अज़हर के मुद्दे पर चीन से कहा है कि अगर सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अज़हर को आतंकी घोषित नहीं किया जाता है तो इसका असर क्षेत्रीय शांति पर पड़ सकता है. उम्मीद थी कि इस बार चीन का रुख बदलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि चीन ने चौथी बार आतंकी मसूद अजहर को बचा लिया. चीन ने कहा है कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी क़रार देने से पहले गंभीर चर्चा किए जाने की ज़रूरत है.
नाकाम हुई भारत की कोशिश
भारत सरकार बीते कई सालों से मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने के लिए अलग-अलग मोर्चों पर कूटनीति का प्रयोग करती रही थी. ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका भारत के साथ थे लेकिन आखिरी मौके पर चीन ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा है कि इसमें विचार करने की जरूरत है. चीन अपने वीटो पावर के दम पर पहले भी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले वाले प्रस्ताव को ख़ारिज करवाता रहा है.
आख़िर क्या है मामला?
भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा ज़िले में अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ़ के एक काफ़िले पर आत्मघाती हमले के बाद फ्रांस, अमरीका और ब्रिटेन ने एक बार फिर यूएन के सुरक्षा परिषद में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया है. इस बार उम्मीद थी की चीन अपने रुख को बदलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के पास इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करने के लिए दस दिन का समय दिया गया था. आखिरी मौके पर चीन ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जाहिर कर दी. आपको याद होगा कि अमेरिका पहले ही ये कह चुका है कि आतंकवाद को लेकर चीन को वैश्विक बिरादरी की मदद करनी चाहिए लेकिन चीन ने अपना फैसला नहीं बदला. ये भारत के लिए बड़ा झटका है.