भारत में महिला शराबियों के संख्या बढ़ी, UP में हैं सबसे ज्यादा पियक्कड़: सर्वे
अभी हाल ही में यूपी उत्तरखंड के कुछ इलाकों में जहरीली शराब पीने की वजह से दर्जनों लोगों की मौत हो गई. लंबे समय से देश के कई राज्यों में शराबबंदी की मांग उठ रही है. आपके आसपास भी जहां शराब की ब्रिक्री होती है वहां शाम को लगने वाली भीड़ ये बताती है कि शराब पीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लेकिन इसका कारण क्या है ये समझना ज़रूरी है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक साझा सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वक्त में देश में अभी करीब 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं जिसमें महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या है. छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में सबसे ज्यादा शराबी हैं. 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में कहा गया था कि शराब पीने की वजह से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और इसकी वजह से सड़क हादसों की संख्या में इजाफा हुआ है.
क्या हैं ताजा सर्वे के आंकड़े ?
एम्स और केंद्रीय सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय के साझा सर्वे के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ ये सर्वे बताता है कि हालात बेहद खराब हैं. इस सर्वे के लिए 186 जिलों के दो लाख से ज्यादा घरों का दौरा करके करीब 4.74 लाख लोगों से बातचीत की गई.
इसके आंकड़े सामने आए वो ये बताते हैं कि महिलाओं में शराब का सेवन बढ़ा है. पुरुषों में शराब का सेवन करने वालों की तादाद महिलाओं (1.6 फीसदी) के मुकाबले बहुत ज्यादा (27.3 फीसदी) है. आंकड़े ये भी कहते हैं कि जो महिलाएं शराब पीती हैं उनमें से 6.4 फीसदी महिलाएं इसकी लती हो गई हैं.
छत्तीसगढ़, त्रिपुरा और पंजाब में पुरुषों की कुल आबादी में से आधी आबादी रोजाना शराब का सेवन करती है. यूपी में सबसे ज्यादा शराबी हैं यहां ये आकंड़ा करीब 4 करोड़ 20 लाख के आसपास है. पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश में शराब का सेवन करने वालों की तादाद भी काफी है. पश्चिम बंगाल में 1 करोड़ 40 लाख तो एमपी में 1 करोड़ 20 लाख शराबी हैं. आंकड़े ये भी बताते हैं कि 5 करोड़ 70 लाख शराबी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं.
WHO की रिपोर्ट क्या कहती है ?
2018 के सिंतबर महीने में WHO ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारत में शराबियों की बढ़ती संख्या की वजह से सालाना 2 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. ये मौतें गंभीर बीमारियों और सड़क हादसों से होती हैं. हर साल सड़क हादसों में होने वाली मौतों में से लगभग एक लाख का शराब से परोक्ष संबंध होता है.
युवाओं में बढ़ रही है शराब की लत
एक और हैरान करने वाला आंकड़ा ये सामने आया कि देश में युवा तेजी से शराबी हो रही हैं. आप देश में शराब की खपत कितनी तेजी से बढ़ रही है और इसका अंदाना इन आंकड़ा से लगा सकते हैं कि 2005 जहां देश में प्रति व्यक्ति इसकी औसतन खपत 2.4 लीटर थी वहीं 2016 में ये दोगुनी बढ़ कर 4.3 लीटर तक पहुंच गई. देश के अलग अलग राज्यों में शराब पीने की उम्र अलग अलग है. अलग-अलग राज्यों में शराब के सेवन की उम्र में भी अंतर है. कहीं यही 18 साल है तो कहीं 25 साल. लिहाजा ये जरूरी है कि देश में इस मामले में समान नीति लागू करने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाया जाए.
2018 अगस्त में मेडिकल जर्नल लांसेट में ‘ग्लोबल बर्डन आफ डिजीज’ नाम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 15 से 49 साल की उम्र के लोगों की हर 10 मौतों में से एक शराब के इस्तेमाल से होती है. इस रिपोर्ट के लिए 1990 से 2016 के बीच दुनिया भर के 195 देशों में अल्कोहल के इस्तेमाल और स्वास्थ्य पर उसके कुप्रभावों के शोध के किया गया था. जो लोग रोज दो जाम पीते हैं उनमें 7 फीसदी लोगों को गंभीर बीमारियों का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.
शराब को लेकर संवेदनशीलता नहीं
सरकारें चांहें तो शराबियों की संख्या को घटा सकती हैं. लेकिन इसका एक आर्थिक पहलू है. इसके सरकारों को मोटी कमाई होती है. यही कारण है कि कुछ राज्यों को छोड़कर इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. शराब बिक्री को रोकने के लिए को भी कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं. जहां शराबबंदी है वहां भी तस्करी के जरिए ये पहुंच जाती है. जरूरी ये है कि इस ओर सरकारें गंभीरता से देखें.