क्या बेरोजगारों के आंदोलन के बाद ही रोजगार पैदा करेगी सरकार?
बड़ी अजीब बात है कि सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि पांच सालों में कोई आंदोलन नहीं हुआ इसलिए रोजगार की कमी देश में नहीं है. रोजगार है या नहीं है इसको आप ऐसे पता लगा सकते हैं कि किसी सरकारी पद के लिए अगर 5 हजार वैकैंसी निकली हो तो उसके लिए कितने अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है?
हाल ही में अग्रेजी अखबार में एनएसएसओ की रिपोर्ट में ये बताया गया था कि देश में बीते 46 सालों में इस वक्त सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. लेकिन इस लीक हुई रिपोर्ट पर नीति आयोग की प्रतिक्रिया ये आई कि इसमें संशोधन होगा और वो दूसरी रिपोर्ट जारी करेंगे. इसके बात देश के वित्त मंत्री कहते हैं कि अगर रोजगार नहीं मिला तो पिछले पांच साल में कोई बड़ा आंदोलन क्यों नहीं हुआ?
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रोजगारविहीन आर्थिक वृद्धि को लेकर हो रही सरकार की आलोचना को खारिज करते हुए ये बयान दिया. रविवार को अरूण जेटली ने कहा,
‘पिछले पांच वर्ष में कोई बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन न होना, यह बताता है कि सरकार की योजनाओं से रोजगार का सृजन हुआ है. भारत में पिछले पांच साल में कोई बड़ा सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन क्यों नहीं हुआ? अगर रोजगार नहीं मिला होता तो असंतोष का माहौल होता. वह कहां दिख रहा है?’
अरूण जेटली, वित्त मंत्री
बीजेपी सरकार के खिलाफ लोग हैं या नहीं है ये अलहदा प्रश्न है. आंदोलन नहीं हुआ ये भी अगल प्रश्न है लेकिन बेरोजगारी का पैमाना आंदोलन कैसे हो सकता है. ये बात समझ से परे है. एक सरकारी पद के लिए सैकडों उम्मीदवार कतार में खड़े हैं इस सच से इंकार सराकर कसे कर सकती है.