राहुल की राह का सबसे बड़ा रोड़ा !
राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारकर अपने इरादे जाहिर तो कर दिए हैं लेकिन इतिहास उनके साथ नहीं है. आंकड़े कहते हैं कि कांग्रेस को गैर कांग्रेसी सरकार में कभी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और उसे सहयोगियों की मदद से ही सत्ता मिली है. लिहाजा राहुल गांधी को चुनाव में ये भी ध्यान रखना होगा कि मोदी से मुकाबले में जीत भी जाते हैं तो सहयोगियों को कैसे साधना है ?
गैर कांग्रेसी सरकार में कांग्रेस का प्रदर्शन
- मोरारजी देसाई की अगुवाई में 1977 में पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी
- मोरारजी की सरकार आपसी खींचतान की वजह से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी
- इसके बाद कांग्रेस के सहयोग से चौधरी चरण सिंह कुछ दिन के लिए प्रधानमंत्री बने
- चरण सिंह संसद पहुंचे भी नहीं और कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से सरकरा गिर गई
- मध्यावधि चुनाव हुए और 1980 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने जबर्दस्त वापसी की थी
- इस चुनाव में कांग्रेस 529 सीटों में से कांग्रेस ने 353 पर जीती उसे पूर्ण बहुमत मिला
- इंदिरा गांधी पीएम बनी, ये पहला चुनाव था जो केंद्र में गैर कांग्रेसी शासन में हुआ
- दूसरा चुनाव 1991 में हुआ, उस वक्त चंद्रशेखर की कार्यवाहक सरकार सत्ता में थी
- कांग्रेस ने इनसे भी समर्थन वापस ले लिया और मई-जून 1991 में आम चुनावों हुए
- इन चुनावों से पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या हुई
- 1991 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस 545 में 244 सीटों पर जीतकर बड़ी पार्टी बनी
- 1991 के चुनाव में कांग्रेस बड़ी पार्टी थी लेकिन सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था
- पी वी नरसिम्हा राव ने कुछ दलों के समर्थन लेकिन केंद्र में अल्पमत की सरकार बनाई
- नरसिम्हा राव की अगुवाई में ये पहली अल्पमत सरकार थी जो 5 साल सत्ता में रही
- नरसिम्हा राव पर सरकार बचाने के लिए झामुमो के MP को रिश्वत देने का आरोप लगा
- गैर कांग्रेसी राज में तीसरा आम चुनाव 1998 में हुआ था इसमें कांग्रेस हार गई
- तब केंद्र में आईके गुजराल की कार्यवाहक सरकार थी, कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं
- 182 सीट जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, जेडीयू, टीएमसी, AIADMK ने सरकार बनवाई
- अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी बार एनडीए सरकार बनी थी, 13 दिन में ये गिर गई
- 1999 में हुए आम चुनाव में बीजेपी फिर 182 सीटें मिलीं, NDA को 270 सीटें मिलीं
- केंद्र में पहली बार किसी गैर कांग्रेस सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया
- वाजपेयी ने ‘शाइनिंग इंडिया’ के चलते देश में पहले ही आम चुनाव कराने का फैसला किया
- 2004 के चुनावों में वाजपेयी सरकार बचा नहीं पाए और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी
- 2004 का आम चुनाव ऐसा 5वां चुनाव था जब केंद्र में गैर कांग्रेसी दल की सरकार थी
- कांग्रेस को चुनाव में 145 सीटें मिलीं लेकिन दूसरे दलों के समर्थन से यूपीए के सरकार बनी
- यूपीए को कुल 218 सीटें मिली थीं, सपा (36), बसपा (19) और लेफ्ट पार्टियों (59) सीटें
- मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दिया था, पांच साल सरकार चली
- 2009 में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने प्रदर्शन किया और कुल 206 सीटें जीतीं
- यूपीए-2 की सरकार में टीएमसी और डीएमके भी शामिल हुई थीं, सरकार 5 साल चली
ये आंकड़े बताते हैं जब भी केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार रही कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस को दूसरे दलों से समर्थन लेकर सरकार बनानी पड़ी. 2019 में भी अगर केंद्र में कांग्रेसी सरकार है लिहाजा ये जरूरी है कि राहुल गांधी बाकी दलों को साधकर रखें. राहुल के लिए बुरी खबर ये है कि इस बार पीएम बनने का सपना ज्यादा नेता देख रहे हैं. मायावती, ममता बनर्जी जैसी क्षेत्रिय दलों की मुखिया इस तरह से समीकरम बना रही हैं कि 2019 के चुनाव के बाद उनका रास्ता साफ हो जाए. क्योंकि दूसरे दलों के बीच राहुल की स्वीकार्यता उतनी नहीं है.