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चुनाव को कुछ महीने ही बाकी बचे हैं और केंद्र की मोदी सरकार दावा कर रही है कि देश में नौकरियों के करोड़ों अवसर पैदा हुए हैं. पीएम मोदी ने खुद कई मंचों पर इस बात का दावा किया है कि उनकी सरकार ने नौकरियों के अवसर दिए हैं. तो क्या वाकई में ऐसा है. क्योंकि रोजगार की मारामारी बढ़ी है.

अगर केंद्र सरकार की नौकरियों के आंकड़े देखें तो ये चौंकाते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक

मार्च 2014 के बाद से खुद केंद्र सरकार की नौकरियों में कमी आई है. सरकार ने 2018-19 के केंद्रीय बजट में केंद्रीय स्टाफ की जो संख्या बताई वह मार्च 2014 के मुकाबले 75,231 कम है.

केंद्र सरकार हर साल चालू साल की लिए केंद्रीय कर्मियों की संख्या बताती है. लेकिन ये संख्या कम है. और ये इस बात का संकेत है कि दावे और सच्चाई में फर्क है. खबर के मुताबिक

2018-19 के बजट में सरकार ने अपने सभी 55 मंत्रालयों व विभागों में काम करने वालों की संख्या (रेलवे को मिलाकर और रक्षा क्षेत्र को छोड़ कर) 32.52 लाख बताई थी, जबकि एक मार्च, 2014 में यह संख्या 33.3 लाख थी.

यानी नौकरियों घटी हैं. हालांकि सरकार ने कहा था कि 2018-19 में केंद्रीय कर्मियों की संख्या 35 लाख तक हो जाएगी. ये तब है जब पिछले करीब चार सालों से मोदी सरकार कह रही है कि हर साल दो लाख नई भर्तियां करेंगे. लेकिन सच्चाई ये है कि केंद्रीय नौकरियां घटी हैं. इसका एक कारण ये बताया जा रहा है कि सरकार कॉन्ट्रैक्ट वाली भर्तियों को वरीयता दे रही है.

दूसरा कारण ये है कि कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद कर्मचारियों की जगह लेने के लिए कई सालों से भर्तियां नहीं हुई हैं लिहाजा पद खाली पड़े हैं. रेलवे का हाल तो सबसे खराब है.

एक मार्च, 2016 को उसके कर्मचारियों की संख्या 13.31 लाख थी. यह मार्च 2017 में घट कर 13.08 हो गई.

वहीं, पिछले बजट में सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं कि वह रेलवे स्टाफ में बढ़ोतरी करेगी. रेलवे में भी केंद्रीय कर्मियों की काफी जगह है लेकिन नई भर्तियां नहीं की जा रहीं. दूसरे विभागों की बात करें तो वहां भी जगह खाली पड़ी है और लोगों की भर्तियां नहीं की जा रही हैं.

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