अब उठी एजुकेशन लोन माफ करने की मांग
एजुकेशन लोन उन लाखों छात्र-छात्रों के लिए संजीवनी जैसा है जिनके परिवार के पास पैसा नहीं है और वो हायर एजुकेशन हासिल करके अपने सपने सच करना चाहते हैं. अभिभावकों और छात्रों में एजुकेशन लोन को लेकर जागरुकता पहले के मुकाबले बढ़ी है.
जिन छात्रों के परिवार की आर्थिक सेहत ठीक नहीं होती उनके लिए एजुकेशन लोन एकमात्र सहारा होता है. महंगी होती शिक्षा की वजह से हायर एजुकेशन की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए एजुकेशन लोन जरूरी हो जाता है. लेकिन बीते कुछ सालों में छात्रों के लिए मुसीबत ये हुई है कि एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई करने के बाद उन्हें नौकरी नहीं मिली और वो लोन चुका नहीं पाए. मेडिकल, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे ऐसे लाखों छात्र हैं जिन्होंने लोन तो ले लिया लेकिन वो बात में एनपीए हो गया और बैंक को नुकसान हुआ.
2015 के आंकड़ों के अनुसार साढ़े तीन लाख से अधिक छात्र पढ़ने के लिए विदेश गए. इनमें से एक तिहाई छात्र ऋण के सहारे ही अपने सपने को साकार कर पाते हैं. चार लाख तक के ऋण अगर भारत में ही रह कर पढ़ने के लिए हो तो इसके लिए गारंटर की जरुरत नहीं होती, लेकिन विदेश में पढाई करने जाने वाले छात्रों के लिए सह-आवेदक का होना अनिवार्य है. विश्व की जानी मानी संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले छात्रों को दस्तावेजी सबूत देने के बाद बैंक अधिक ऋण दे सकते हैं. बस जमानत के रूप में संपत्ति के पेपर बैंक अपने पास रख लेता है.
आमतौर पर 11 से 14 प्रतिशत तक की दरों पर लोन मिलता है. सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी का शोध कहता है कि 2018 रोजगार नहीं था इसलिए बेरोजगारी बढ़ी और नतीजा ये हुआ कि छात्र लोन नहीं चुका पाए. हजारों छात्र कर्ज और रोजगार के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं. लोन का भुगतान करने के लिए 15 सालों का समय मिलता है. छात्र पढ़ाई खत्म होने के बाद और नौकरी शुरू करने के एक साल बाद लोन अदायगी शुरू कर सकता है. लेकिन बेरोजगारी के चलते इसमें समस्या आ रही है. छात्र तो यहां तक मांग कर रहे हैं कि सरकार किसानों के लोन की तरह छात्रों का लोन भी माफ करना चाहिए.
बीते तीन सालों में एजुकेशन लोन का एनपीए 6 हजार करोड़ रूपये तक हो गया है. यानी कुल लोन का 9 प्रतिशत. लेकिन एनपीए के बाद भी सरकार छात्रों को लोन दे रही है और 2018 में सबसे ज्यादा 14 अरब रुपये एजुकेशन लोन बांटा गया है. 2017 के मुकाबले यह लगभग 28 प्रतिशत है. लेकिन क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाईमार्क की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में एजुकेशन लोन लेने वाले छात्रों में 7 प्रतिशत की गिरावत आई है. कहा ये भी जा रहा है कि एजुकेशन लोन लेने में छात्र डरने लगे हैं.