Restaurant में सर्विस चार्ज से जुड़े जरूरी नियम जान लीजिए फायदे में रहेंगे
Restaurant द्वारा उपभोक्ताओं से जबरन सर्विस चार्ज वसूलने के कई मामले सामने आने के बाद अब केंद्र सरकार ने इसी मुद्दे पर रेस्तरां संगठन के साथ दो जून को एक बैठक बुलाई है.
केंद्र सरकार ने Restaurant संगठन के साथ एक बैठक बुलाई है जिसमें सर्विस चार्ज पर चर्चा होगी. सरकार ने कहा है कि उपभोक्ताओं के लिए सर्विस चार्ज देना अनिवार्य नहीं होता है लेकिन रेस्तरां इस मामले में धोखाधड़ी कर रहे हैं.
जबरन सर्विस चार्ज वसूलने के कई मामले सामने आने के बाद अब केंद्र सरकार ने इसी मुद्दे पर रेस्तरां संगठन के साथ दो जून को एक बैठक बुलाई है. बैठक में सर्विस चार्ज से जुड़ी अनियमितताओं का दूर करने के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा होगी.
कुछ ही दिनों पहले केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने संगठन को एक चिट्ठी लिख कर इस मामले को उठाया था. उन्होंने चिट्ठी में ध्यान दिलाया था कि सर्विस चार्ज स्वैच्छिक होता है लेकिन कुछ रेस्तरां ग्राहकों से इसे अनिवार्य रूप से ले रहे हैं, जो गलत है.
दरअसल आजकल रेस्तरां में बैठ कर खाना खाने पर अनिवार्य 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स के अलावा पांच से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज भी लगा दिया जाता है. लेकिन दोनों में फर्क है. जहां सर्विस टैक्स अनिवार्य होता है, सर्विस चार्ज स्वैच्छिक होता है.
सर्विस चार्ज टिप की तरह होता है जो ग्राहक अपनी खुशी से होटल के कर्मचारियों के लिए देता है. अप्रैल 2017 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक Restaurant को बिल में ही सर्विस चार्ज की जगह खाली रखनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.
उपभोक्ताओं की जागरूकता के लिए रेस्तरां के अंदर ही कहीं पर ठीक से लिखा भी होना चाहिए कि सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं है, लेकिन ऐसा भी नहीं हो रहा है. बल्कि कई बार ग्राहक द्वारा बिल में से सर्विस चार्ज हटाने के अनुरोध करने पर रेस्तरां द्वारा उसे शर्मिंदा करने की शिकायतें भी आ रही हैं.
इसीलिए मंत्रालय चाह रहा है कि रेस्तरां संगठन अब इन कमियों को दूर हटाए. 2017 के दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि सिर्फ रेस्तरां में प्रवेश करने भर को सर्विस चार्ज देने के प्रति सहमति नहीं माना जा सकता है और इसे प्रवेश की शर्त बनाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है.
इसके अलावा Restaurant के अंदर प्रवेश करने के बाद ऑर्डर देने का मतलब है कि ग्राहक मेन्यू पर दिखाए गए दाम और अनिवार्य टैक्स का भुगतान करेगा. मंत्रालय ने कहा है कि इसके अलावा बिना ग्राहक की सहमति के अगर उस से और कोई भी भुगतान लिया गया तो वह भी अधिनियम के उल्लंघन के दायरे में आएगा.
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