मोदी के ‘मिशन 2025’ को नाकाम करेंगे अखिलेश ?
जनसंघ के जमाने में कांग्रेस के लोग एक नारा लगाते थे- ‘इस
दीपक में तेल नहीं सरकार चलाना खेल नहीं.’ लेकिन
2019 तक बीजेपी ने कांग्रेस के नारे ना सिर्फ गलत साबित किया है बल्कि कांग्रेस को
पूरी तरह से जमीन पर ला दिया है. कांग्रेस सिर्फ 5 राज्यों में सिमट गई थी. लेकिन
अब उसमें इजाफा हुआ है. मोदी का मिशन 2025 ये है कि जब संघ की स्थापना के 100 साल
पूरे हों तो वो उन्हें एक बड़ा तोहफा दें. ऐसे वक्त में जब देश कोने कोने में
बीजेपी पैर पसार रही है तब अखिलेश यादव ने मायावती का साथ पाकर मोदी के मिशन में
टांग अड़ा दी है. पूर्वोत्तर में डेढ़ फ़ीसदी वोट वाली बीजेपी 42 फ़ीसदी पर पहुंचने
में कामयाब रही. बीजेपी को जहां भी जीत मिली है वहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की मतदाताओं में विश्वसनीयता सबसे बड़े कारण रही. लेकिन अब ये तिलिस्म टूटा है और
इसका फायदा अखिलेश उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं.
मोदी के राज में सरकार और संगठन में गजब का तालमेल दिखाई देता है. और दोनों को संघ का समर्थन मिला हुआ है. बेजोड़ तालमेल है और इन दोनों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का पूरा समर्थन है. इस समर्थन की वजह ये भी है कि साल 2025 में संघ के गठन के सौ साल पूरे हो रहे हैं ऐसे में मोदी और संघ की चाहत ये होगी की देश और राज्य में बीजेपी की सरकार हो. मोदी का ये संघ को तोहफा होगा. लेकिन दिसंबर में हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्य हारने के बाद अब लोकसभा चुनाव में देश सबसे महत्वपूर्ण सूबे में अखिलेश- मायावती के गठबंधन ने मोदी के मिशन-2025 में टांग अड़ा दी है. क्योंकि अगर यूपी के गणित को समझने को ये गठबंधन मोदी के पीएम बनने में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होगा.