उत्तर प्रदेश चुनाव: किन मुद्दों पर होगा मतदान, किसे मिलेगी UP की कमान?

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उत्तर प्रदेश चुनाव: अगले साल फरवरी में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. अब जो राजनीतिक हालात दिख रहे हैं, उससे बड़े दलों के बीच कोई चुनाव पूर्व गठबंधन होता नज़र नहीं आ रहा है. ऐसे में प्रदेश में बहुकोणीय संघर्ष होना बिलकुल तय माना जा रहा है.

उत्तर प्रदेश चुनाव: पिछले कुछ दशकों में ऐसा पहली बार होगा कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बहुकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल को इस बार के चुनाव में काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों – समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, दो राष्ट्रीय दलों – भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा क्षेत्रीय दलों ने भी उसी हिसाब से अपनी रणनीति लगभग बना ली है.

राजनीतिक पार्टियों की क्या है रणनीति?

बसपा जहां दलितों और ब्राह्मणों को मिलाकर 36 प्रतिशत मतों के ध्रुवीकरण में लगी है. वहीं समाजवादी पार्टी को लगता है कि अगर उसे यादवों और मुसलमानों के 40 प्रतिशत मत मिल जाएं, तो सत्ता की चाभी उसके पास ही होगी. उधर, भाजपा दलितों, ओबीसी और सवर्णों का ज़्यादातर मत हासिल करने की हर संभव कोशिश कर रही है. उत्तर प्रदेश के चुनावों के बारे में माना जाता है कि यहाँ के 19 प्रतिशत मुसलमान भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसलिए ओवैसी के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस, बसपा और समाजवादी पार्टी के खेमों में काफ़ी असहजता देखी जा रही है. इन दलों का कहना है कि ओवैसी की मौज़ूदगी इस चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाएगी.

UP चुनाव में वोट प्रतिशत की महत्वपूर्ण भूमिका

उत्तर प्रदश में सवर्णों की आबादी 18 से 20 फ़ीसदी है, तो दलितों की 19 से 20 फ़ीसदी. वहीं राज्य में ओबीसी का हिस्सा 40 प्रतिशत का है, जबकि मुसलमान 19 प्रतिशत. यही मत प्रतिशत है जिस को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी चुनावी गोटियां सेट कर रही हैं.

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