चरणजीत सिंह चन्नी ने संभाली पंजाब की कुर्सी तो UP में बढ़ गई हलचल, लेकिन क्यों?
चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने न सिर्फ पंजाब बल्कि उत्तर प्रदेश में भी सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है और इसकी वजह से यहां हलचल बढ़ गई है.
चरणजीत सिंह चन्नी को सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री की शपथ लिए कुछ ही मिनट हुए थे कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती मीडिया से चर्चा से लिए आईं. मायावती ने अपनी बात की शुरुआत चन्नी को बधाई देकर की लेकिन अगले ही मिनट उन्होंने कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. इस फ़ैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी भी कह चुकी है कि दलित कांग्रेस के लिए ‘राजनीतिक मोहरा’ हैं.
चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने के बाद अगर आप मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ट्विटर टाइम लाइन को देखें तो आप पाएंगे कि दोनों दलित प्रेम में डूबे हुए दिखाई दे रहे हैं. मायावती ने कहा, “ये बेहतर होता कि कांग्रेस पार्टी इनको पहले ही पूरे पांच साल के लिए यहां का (पंजाब का) मुख्यमंत्री बना देती. किंतु कुछ ही समय के लिए इनको पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना, इससे तो ये लगता है कि ये इनका कोरा चुनावी हथकंडा है. इसके सिवा कुछ नहीं है.
इत्तेफ़ाक ये भी है कि सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए जिनमें उन्होंने केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारों के ‘दलितों के हित’ में किए काम गिनाए. योगी आदित्यनाथ रविवार को वाराणसी में बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे. रविवार को ही इसका वीडियो भी ट्विटर पर पोस्ट किया गया था लेकिन सोमवार को जिस वक़्त चन्नी शपथ ले रहे थे, योगी आदित्यनाथ ने लगभग तभी ट्विटर पर कई ट्वीट किए.
क्या यूपी में बदल रहे सियासी समीकरण?
चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद क्या उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण बदल गए हैं. पंजाब में अकाली-बीएसपी गठजोड़ की कामयाबी के लिए दलित वोटों को ही सबसे अहम माना जा रहा है. लेकिन, मायावती की पार्टी का असल दांव उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगा होगा, जहां बीते करीब तीन दशक से दलितों का सबसे ज़्यादा वोट उनकी पार्टी बीएसपी को हासिल होता रहा है. इस बार प्रबुद्ध (ब्राह्मण) सम्मेलन के जरिए बीएसपी ब्राह्मण और दलित वोट बैंक को साथ लाने का वो ही फॉर्मूला आजमाने की कोशिश में है, जिसने साल 2007 में मायावती की पार्टी को पहली बार अकेले दम पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत दिलाया था.
अपने ओल्ड फार्मूले से सत्ता तक पहुंचने की कोशिश
किसी वक़्त यही समीकरण कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता तैयार करता था. इस बार भी प्रियंका गांधी वाड्रा को आगे करते हुए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पुराने फार्मूले को आजमाने की कोशिश में है. उत्तर प्रदेश में विरोधी दल कांग्रेस को अब तक गंभीरता से नहीं ले रहे थे लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब सरकार का मुखिया बनाकर कांग्रेस ने दोनों प्रदेशों (पंजाब और उत्तर प्रदेश) में राजनीतिक बहस को नई दिशा देने की कोशिश की है.
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