किसानों का कर्जमाफ हो तो लोग ‘ज्ञान’ क्यों देने लगते हैं ?
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारों ने किसानों का कर्जमाफ कर दिया, इससे पहले यूपी की सरकार ने किसानों का कर्जमाफ किया था. देश के कई राज्यों ने राजनीतिक फायदे के लिए ही सही किसानों का कर्जमाफ किया है. कुछ लोग कह रहे हैं कि ये गलत परंपरा की शुरूआत हुई है. वहीं एक तबका ऐसा भी है कि जो कहता है किसानों का कर्ज माफ करने में क्या हर्ज है जब 100 अरबपतियों पर लाखों करोड़ का कर्ज माफ कर दिया जाता है. बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ही अभी कहा है कि सरकारों ने किसानों से ज्यादा अमीरों की झोली भरी है.
किसानों की कर्जमाफी पर प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि कृषि कर्ज मांफी उतनी गलत या मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी की लोग सोचते हैं. मिंट को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि
‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्ज माफी पूरी तरह से गलत नीति है. कृषि संकट कई समस्याओं में से एक है. 1920 के दशक से ही हम इस पर चर्चा कर रहे हैं. मैं लोगों के इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्जमाफी पूरी तरह से गलत चीज है. इसमें निश्चित रूप से प्रोत्साहन समस्या (इंसेंटिव प्रॉब्लम) है, लेकिन कई समानता नीतियों में एक प्रोत्साहन समस्या है.’
अमर्त्य सेन ने इस साक्षात्कार में किसानों के मुद्दे पर खुलकर बात की. उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया. और बताया कि कैसे उन्हें बचपन में हुए अनुभवों ने किसानों की समस्याओं से रूबरू कराया.
‘मैं शान्तिनिकेतन में पला जो कि आदिवासी गांवों से घिरा हुआ था. हमारे घर और चावल मिल के बीच तीन या चार मील दूर, धान के खेतों के अलावा कुछ नहीं था. ये छोटे प्लॉट थे जो ज्यादातर आदिवासियों के थे. अब वही जगह घरों से भरा हुआ है, क्योंकि किसान कर्ज में डूब गए और उसे अपनी जमीन बेचना पड़ा. इससे बड़ी सीख यह है कि किसानों को अपनी जमीन बेचनी पड़ी क्योंकि वे बहुत ज्यादा कर्ज में थे. कर्ज माफी उतनी मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी आप सोच सकते हैं. जो लोग कर्ज में डूब गए हैं, उनके पास कई सारी समस्याएं होती हैं और यह एक तरह से उनकी गलती हो सकती है.’
अमर्त्य सेन के मुताबिक समस्या ये है कि हमारे पास कृषि पर निर्भर रहने वाले बहुत ज्यादा लोग है इसका कारण ये है कि हमारा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर रोजगार पैदा नहीं कर पा रहा. सेन का ये बयान इसलिए जरूरी है क्योंकि रघुराम राजन, अरविंद सुब्रमण्यम जैसे अर्थशास्त्रियों ने कृषि कर्ज मांफी की नीति को गलत बताया हैं. हां ये बात सही है कर्जमाफी किसानों की समस्या का समाधान कर्जमाफी नहीं है लेकिन फिर भी ये गलत है ऐसा नहीं कहा जा सकता.