किसान आंदोलन के 100 दिन, कैसी है किसानों की तैयारी?
दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है वहां अब किसान गर्मियों की तैयारियों में जुटे हैं.
बांस-बल्लियों के तंबुओं की जगह, स्टील के ढांचे और इनपर तंबू बांधे जाने की क़वायद शुरू हो चुकी है. कई टेंटों में एसी और कूलर लगाने का काम भी ज़ोरों से चल रहा है. किसान आंदोलन लंबा चलेगा इसके संकेत आपको सिंधु बॉर्डर पहुंचते ही मिल जाते हैं. किसानों को जोश अभी भी पहले जैसा है.
किसान आंदोलन लंबा चलेगा
ट्रैक्टर ट्रॉली को चारों तरफ से प्लाई से घेर कर एसी लगाने की प्लानिंग पर काम हो रहा है. किसानों को नहीं लगता है कि आंदोलन जल्द ख़त्म होगा और सरकार उनकी माँगें मानेगी. इसलिए किसान भी अब आर पार के मूड में हैं. पटियाला के किसान रंजीत कहते हैं कि, वो कहते हैं, “अब तो ये लंबा खिंचता हुआ नज़र आ रहा है. इसलिए हम उसी तरह की तैयारियां कर रहे हैं. अब जितने दिन भी खिंच जाए, हम तैयार हैं.”
एक छोटे शहर में बदल गया है सिंधु बॉर्डर
सिंघु बॉर्डर अपने आप में एक छोटे शहर जैसा लगने लगा है. ट्रॉलियों में लोग ‘घर’ की तरह रह रहे हैं. टेंट भी घरों की तरह ही बना दिए गए हैं. कहीं बड़ी-बड़ी वाशिंग मशीनें लगी हैं, तो कहीं सड़कों पर जूते चप्पलों की दुकानें. आंदोलन स्थल पर आपको ‘नो फ़ार्मर, नो फ़ूड’ लिखे स्लोगन का काफी सामान मिल जाएगा इसी तरह लिखे गए स्टीकर गाड़ियों पर भी नज़र आते हैं. इतना ही नहीं छोटी अस्थायी दुकानों पर ‘ब्लू टूथ’ स्पीकर और पॉवर बैंक बिक रहे हैं. ऐसी ही एक दुकान के मालिक मंजीत बताते हैं की वो शुरू से किसानों की मदद कर रहेगा हैं. उन्होंने कहा, ‘हम टूटने नहीं तोड़ने वाले लोग हैं, आंदोलन कमजोर नहीं होगा हम यहीं हैं जब तक जीतते नहीं’ इसके अलाव रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें. लंगर, चाय और शर्बत के टेंट भी जगह-जगह लगे हुए हैं.
किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर…
छह मार्च को किसान आंदोलन के सौ दिन पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने विरोध प्रदर्शन के कई आयोजनों की रूप रेखा तैयार की है. संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता दर्शन पाल का कहना है, “छह मार्च से आंदोलन का स्वरुप भी बदल जाएगा. उनका कहना है कि उस दिन ‘केएमपी एक्सप्रेसवे’ की पाँच घंटों तक नाकाबंदी की जाएगी जो सुबह 11 बजे से शुरू होकर शाम के चार बजे तक चलेगी.” किसानों का सब्र टूटने और कई किसानों के वापस लौटने की ख़बरों को यहां के किसान अफ़वाह बता रहे है.
महिलाओं के हाथ में किसान आंदोलन की कमान
इस आंदोलन की मजबूती महिलाओं की वजह से भी है. आंदोलन से जुड़े लोगों ने बताया कि, “दूसरे राज्यों में भी किसान छह मार्च को प्रदर्शन करेंगे और नए कृषि क़ानूनों के विरोध में काली पट्टियां लगाएंगे. आठ मार्च को महिला दिवस के दिन, पूरे भारत में किसानों के विरोध स्थलों का संचालन महिलाओं के हाथ में होगा.”
तीन महीने पहले जब किसान आंदोलन शुरू हुआ था तो इसे सिर्फ़ पंजाब के किसानों के आंदोलन के रूप में ही देखा जा रहा था. लेकिन जब राकेश टिकैत की भारतीय किसान यूनियन इस आन्दोलन में शामिल हुई तो कहा जाने लगा कि ये पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक इलाक़ों के किसनों का आंदोलन है.
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