मई दिवस : पढ़िए अमर शहीद अल्बर्ट पार्संस के खत का वो हिस्सा जो उन्होंने अपनी पत्नी के लिए लिखा
‘मेरी प्रिय पत्नी!
मुझे तुम्हारे लिए और हमारे छोटे-छोटे बच्चों के लिए अफसोस है.
मैं तुम्हें जनता को सौंपता हूं, क्योंकि तुम आम लोगों में से ही एक हो.
तुमसे मेरा एक अनुरोध है –
मेरे न रहने पर तुम जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना, पर समाजवाद के महान आदर्शों को, मैं जहां छोड़ जाने को बाध्य हो रहा हूं, तुम उन्हें और ऊंचा उठाना.
मेरे बच्चों को बताना उनके पिता ने एक ऐसे समाज में, जहां 10 में से 9 बच्चों को गुलामी और गरीबी में जीवन बिताना पड़ता है, संतोष के साथ जीवन बिताने के बजाय, उनके लिए आजादी और खुशी लाने का प्रयास करते हुए मरना बेहतर समझा!
उन्हें आशीष देना. बेचारे छौने, मैं उनसे बेहद प्यार करता हूं.
आह! मेरी प्यारी, मैं चाहे रहूं या न रहूं, हम एक हैं.
तुम्हारे लिए, जनता और मानवता के लिए मेरा प्यार हमेशा बना रहेगा.
अपनी इस कालकोठरी से मैं बार-बार आवाज लगाता हूं: आजादी! इंसाफ! बराबरी!’
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अपनी पत्नी के नाम, मई दिवस के अमर शहीद अल्बर्ट पार्संस के खत का एक हिस्सा.
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