Roorkee news: आपने सुना होगा की अस्पताल में चिकित्सक आमजन की जान बचाते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाएंगे जिसमें खुद अस्पताल के चिकित्सक ही डर के साए में अपनी जान पर खेलकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
Roorkee news Hindi: रुड़की के पुरानी तहसील स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का है जहाँ भले ही रोजाना मरीजों का उपचार होता हो लेकिन यह अस्पताल खुद ही पूरी तरह से बीमार है। अस्पताल का भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है।
यह भवन कब हादसे का कारण बन जाए यह कहा नहीं जा सकता। वहीं अस्पताल के स्टाफ को हमेशा अस्पताल में काम करते समय अनहोनी की आशंका बनी रहती है। विभाग भी अस्पताल के जर्जर भवन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिससे यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। तस्वीरों में साफ तौर पर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी पोल खुलती नजर आ रही है।
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पुरानी तहसील रूडकी में राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के हालात बद से बदतर है। जहाँ एक तरफ शहर के पुरानी तहसील में बने राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार को लेकर तमाम सुविधाएं हैं। उपचार और दवाएं दोनों ही मरीजों को यहां से मिलती हैं।
लेकिन अस्पताल के जर्जर भवन के कारण चिकित्सक यहां मरीजों को भर्ती करने से भी कतराते हैं हालांकि अस्पताल में वार्ड बना है और यहां सभी सुविधाओं समेत पंचकर्म की सुविधा भी उपलब्ध है।भवन ठीक न होने की वजह से कई सुविधाएं यहां होने के बाद भी संचालित नहीं हो पा रही हैं।
अस्पताल के कैंपस में स्टाफ के लिए बने अधिकांश आवास भी जर्जर होने के कारण खाली पड़े हैं। दो-तीन लोग ही यहां रहते हैं।हालांकि अस्पताल भवन की छत व दीवारों की मरम्मत और रंगाई-पुताई कराई गई है लेकिन अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉक्टर प्रदीप कुमार का कहना है कि अस्पताल भवन काफी पुराना हो चुका है।
ऐसे में ऊपर से कराई गई मरम्मत व रंगाई-पुताई से भवन को मजबूती मिलना मुश्किल है जिस कारण समस्त स्टाफ डर के साए में अपनी नौकरी करने को मजबूर है। उन्होंने बताया कि यहाँ चिकित्सक समेत 13 कर्मियों का स्टाफ है। साथ ही अस्पताल की स्थिति के विषय में सूचना उच्चाधिकारियों को भी दी जा चुकी है लेकिन यहाँ सुध लेने कोई नही पहुँचा है।
वहीं मेयर गौरव गोयल का कहना है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें इस विषय में जानकारी मिली है और वह खुद जाकर वहाँ का निरीक्षण करेंगे और सरकार के माध्यम से अस्पताल के हालात जल्द से जल्द दुरुस्त कराया जाएगा। आपको बता दें कि राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में दो चिकित्सक डा. प्रदीप कुमार व डा. आरती पाठक के अलावा 11 स्वास्थ्य कर्मी तैनात हैं जिसमें एक चीफ फार्मेसिस्ट, एक फार्मेसिस्ट, तीन स्टाफ नर्स, दो पंचकर्म सहायक आदि शामिल हैं।
साथ ही साथ रोजाना इस अस्पताल में 70 से 80 मरीजों की ओपीडी भी होती है। मरीजों का चेकअप से लेकर उनको दवाएं तक यहां मिलती हैं। यदि आयुर्वेदिक अस्पताल पर ध्यान दिया जाए तो मरीजों को इसका काफी लाभ मिलेगा।
Roorkee news: अस्पताल का भवन जर्जर होने से मरीज भी यहां आने से डरते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक इस जर्जर पड़े भवन की सम्बंधित अधिकारी या जनप्रतिनिधि सुध लेते हैं और चिकित्सक बिना डर के यहां आमजन के इलाज कर पाएंगे।
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