बैंक घोटाला अब मोदी सरकार के लिए सिर दर्द होता जा रहा है. नीरव मोदी और विजय माल्या के बाद एबीजी शिपयार्ड बैंक धोखाधड़ी में मामले में जहां सियासत गरम हो गई है. लेकिन मोदी सरकार का कहना है कि बैंकों ने कम समय में घोटाले को पकड़ लिया. कांग्रेस ने मोदी की चुप्पी पर सवाल किया है.
बैंक धोटाला और उसका कनेक्शन है गुजरात है. लाजिमी है कि विपक्ष इसका मुद्दा उठाएगा लेकिन सवाल ये है कि आखिर मोदी सरकार में इतने बैंक घोटाले क्यों हो रहे हैं. एबीजी शिपयार्ड बैंक धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई ने कहा है कि एबीजी शिपयार्ड और उसके पूर्व अध्यक्ष ऋषि कमलेश अग्रवाल, संथनम मुथुस्वामी और अश्विनी अग्रवाल ने बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की है. इन पर एसबीआई की अगुवाई वाले 28 बैंकों के संघ से धोखाधड़ी का आरोप है. इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी मामला भी बताया जा रहा है.
बैंक घोटाला जिसने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया
यहां आपके लिए ये समझा जरूरी है कि जिस एबीजी शिपयार्ड पर इतिहास के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी का आरोप लगा है कि वो करती क्या है. एबीजी शिपयार्ड और उसकी फ्लैगशिप कंपनी जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत का कारोबार करती है.
एसबीआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने 7 फरवरी को दर्ज केस के सिलसिले में कंपनी और उसके निदेशकों के ठिकानों पर छापे मारे थे और कई दस्तावेज जब्त किए थे.
धोखाधड़ी की कुल राशि 22,842 करोड़ रुपये है. एबीजी शिपयार्ड गुजरात के दाहेज और सूरत में स्थित हैं. एसबीआई की शिकायत के मुताबिक, कंपनी ने उससे 2925 करोड़ रुपये कर्ज लिया था. जबकि आईसीआईसीआई बैंक से 7089 करोड़, आईडीबीआई से 3634 करोड़ से, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1614 करोड़, पीएनबी से 1244 करोड़ और आईओबी से 1228 करोड़ रुपये का बकाया है.
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एबीजी शिपयार्ड ने पैसे का गलत इस्तेमाल किया
फॉरेंसिक ऑडिट से जो खुलासा हुआ वो चौकानें वाला है. खुलासे के मुताबिक साल 2012-2017 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत कर पैसे का गलत इस्तेमाल किया. आरोपियों ने कर्ज किसी और मकसद से लिया और उसका इस्तेमाल किसी काम के लिए किया. बैंकों की ओर से कंपनी के खाते 2016 में एनपीए और 2019 में “फ्रॉड अकाउंट” घोषित किए गए. वहीं केस दर्ज देरी से कराने के सवाल पर एसबीआई का कहना है कि उसने केस दर्ज कराने में कोई देरी नहीं की. कांग्रेस ने पूछा है कि केंद्र ने घोटाले की चेतावनी के आरोपों पर ध्यान देने से इनकार क्यों किया. एसबीआई का कहना है कि धोखाधड़ी को फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर घोषित किया जाता है.
नीरव और माल्या को भूल जाएंगे आप
एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी नीरव मोदी और उसके चाचा मेहुल चोकसी द्वारा किए गए बैंक घोटाले से कहीं अधिक बड़ी है. इन दोनों ने कथित तौर पर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी कर पीएनबी से करीब 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी.
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