ट्विटर के नए सीईओ पराग अग्रवाल ने जैक डोर्सी की जगह संभाल ली है. इसके साथ ही दुनिया की सबसे नामी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे भारतीयों की सूची में एक और नाम शामिल हो गया.
सोमवार को जैक डोर्सी के ट्विटर सीईओ का पद छोड़ने के बाद जैसे ही पराग अग्रवाल के नाम की घोषणा हुई, कुछ लोगों ने उनका एक पुराना ट्वीट ढूँढ निकाला. ट्रोलर्स ने उनके एक दशक पुराने ट्वीट को खोज निकाला जिसमें पराग अग्रवाल ने मुसलमान, चरमपंथी, गोरों और नस्लभेद की बात की थी. पराग अग्रवाल के ट्वीट का एक दशक बाद अलग-अलग मतलब निकाला जा रहा है लेकिन इस ट्वीट को लेकर उन्होंने तभी सफ़ाई जारी कर दी थी.
पराग अग्रवाल ने 26 अक्तूबर 2010 को एक ट्वीट किया था और तब वो ट्विटर के साथ काम नहीं करते थे. उन्होंने अपने उस ट्वीट में लिखा था, “अगर वो मुसलमान और चरमपंथियों के बीच अंतर नहीं करने वाले हैं तो फिर मुझे गोरे लोगों और नस्लवादियों में अंतर क्यों करना चाहिए?” उनके सीईओ बनने की घोषणा के बाद इस एक दशक पुराने ट्वीट पर नामी-गिरामी लोगों के कमेंट की बाढ़ आ गई है. हालांकि, इस ट्वीट को लेकर उन्होंने पहले ही सफ़ाई जारी कर दी थी.
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पराग अग्रवाल उन भारतीयों की लंबी सूची में अगला नाम हैं जो सिलिकॉन वैली की बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं. उनमें गूगल की मुख्य कंपनी अल्फाबेट के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नाडेला और आईबीएम के अरविंद कृष्णा शामिल हैं.
पराग अग्रवाल ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की है. इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की. उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और याहू में इंटर्नशिप भी की.
2011 में उन्होंने ट्विटर में काम शुरू किया था. तब कंपनी में सिर्फ 1,000 कर्मचारी हुआ करते थे. पिछले साल के आखिर में कंपनी के 5,500 कर्मचारी थे. जल्दी ही अग्रवाल का नाम हो गया. 2017 में वह चीफ टेक्निकल ऑफिसर नियुक्त किए गए. वह कंपनी की आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग नीतियों के लिए जिम्मेदार रहे.
यूं तो ट्विटर दुनिया के बड़े-बड़े लोगों जैसे राजनेताओं, पत्रकारों और मनोरंजन जगत की हस्तियों की पसंदीदा सोशल मीडिया प्रोफाइल है लेकिन ग्राहकों की संख्या के मामले में यह फेसबुक और यूट्यूब के अलावा नई वीडियो ऐप टिक टॉक से काफी पीछे रह गई है. ट्विटर के सिर्फ 20 करोड़ ऐसे यूजर हैं जो प्रतिदिन सक्रिय होते हैं. इसलिए पराग अग्रवाल के सामने चुनौतियां काफी बड़ी हैं. उन्हें तकनीकी विकास ही नहीं देखना है बल्कि राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का भी सामना करना होगा. इनमें फेक न्यूज, ट्रोलिंग और मानिसक स्वास्थ्य पर असर जैसे गंभीर मुद्दे भी हैं.
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