UP Election 2022: बीजेपी अब उत्तर प्रदेश में अगले महीने से अयोध्या से कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर रही है. ये कार्यक्रम ओबीसी लोगों से संपर्क करने के लिए होगा.
UP Election 2022: ओबीसी उत्तर प्रदेश के कुल मतदाताओं का 50 प्रतिशत से अधिक है, जबकि गैर-यादव ओबीसी राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 35 प्रतिशत है. भाजपा उत्तर प्रदेश ओबीसी मोर्चा ने राज्य भर में संगठनात्मक कार्यों की निगरानी के लिए तीन टीमों का गठन की है. कोशिश है उन मतदाताओं को लुभाने की जो अखिलेश यादव की ताकत है. भारतीय जनता पार्टी अब उत्तर प्रदेश में अगले महीने से अयोध्या से कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर रही है. ये कार्यक्रम ओबीसी लोगों से संपर्क करने के लिए होगा. इतने बड़े अभियान का फोकस अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में गैर-यादव, छोटी या बड़ी ओबीसी जातियों का समर्थन हासिल करना है.
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UP Election 2022 के लिए बीजेपी का मिशन शुरू
उत्तर प्रदेश भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने बताया कि हमने राज्य स्तर पर 32 टीमों का गठन किया है, जो उत्तर प्रदेश के छह क्षेत्रों और 75 जिलों में काम का आयोजन करेंगे. 2 सितंबर को अयोध्या से, हम लोगों को भाजपा की सरकार की कल्याणकारी पहलों के बारे में बताने के लिए एक आउटरीच कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. राज्य भर में इन बैठकों में बीजेपी ओबीसी मोर्चा समझाएगा कि कैसे अन्य राजनीतिक दलों ने उन्हें धोखा दिया है और उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में माना है. कश्यप ने कहा कि ओबीसी समुदायों के साथ बैठक के दौरान, हम बताएंगे कि यह नरेंद्र मोदी सरकार थी जिसने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया था, 127 वां संविधान संशोधन पारित किया जिसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पिछड़े वर्गों की अपनी सूची तैयार करने की अनुमति दी साथ ही मेडिकल सीटों में कोटा प्रदान किया है.
ओबीसी बिगाड़ सकता है चुनावी गणित
उत्तर प्रदेश में ओबीसी चुनावी रूप से महत्वपूर्ण हैं. इस बार हम सभी ओबीसी समुदायों खासकर गैर यादवों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. कश्यप ने कहा कि यह मोदी जी हैं जो समाज के कमजोर और हाशिए के वर्गों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. मुलायम सिंह और अन्य जैसे ओबीसी के तथाकथित चैंपियन ने सत्ता में रहते हुए कुछ नहीं किया. यह मोदी सरकार थी जिसने समुदायों के लिए काम किया. कश्यप अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि ओबीसी वोट बैंक अगर बीजेपी से छिटका तो 2022 में चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. लिहाजा पूरी कवायद पिछड़ा वोट बैंक को समेटने की है. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी अपने कोर को साधते हुए पिछड़ा वर्ग की दूसरी जातियों को अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रही है.
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