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सैफई में सपा का शक्ति प्रदर्शन, महान दल के साथ मैदान मारने की तैयारी में अखिलेश…क्या होंगे कामयाब?

सैफई में सपा का शक्ति प्रदर्शन देखने के बाद पहली नजर में आपको लग सकता है कि 2022 के चुनाव में महान दल के साथ किया गया अखिलेश का गठबंधन कामयाब रहेगा लेकिन आंकड़ों पर भी नजर डालना जरूरी है.

महान दल की 16 अगस्त 2021 को पीलीभीत से प्रारम्भ हुई जनाक्रोश यात्रा का समापन आज सैफई इटावा में हो गया और इस मौके पर सपा ने अपनी पूरी ताकत दिखाने की कोशिश की. इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव पूरे रंग में दिखाई दिए. उन्होंने बीजेपी सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि, “प्रदेश में लाखों लोग कोरोना से मरे लेकिन सरकार ने छुपा लिया। इतनी जुल्मी सरकार को हटाना ही पड़ेगा. देश में सब कुछ बेचा जा रहा है.”

रामगोपाल यादव ने सरकार को गिरते हुए न सिर्फ योगी सरकार पर निशाना साधा बल्कि मोदी सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, कि “देश की सारी सम्पत्ति चार-पांच लोगों के हाथ में दी जा रही है। निजी हाथों में जाने के बाद आरक्षण खत्म हो जाएगा” समाजवादी पार्टी का यह कार्यक्रम महान दल के साथ एक तरीके से शक्ति प्रदर्शन था. इस कार्यक्रम में बोलते हुए महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री केशव देव मौर्य ने कहा कि “सैफई की धरती हमारे लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं है. महान दल और समाजवादी पार्टी का रिश्ता कुर्सी और स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि दलित, पिछड़ों, गरीबों के मान-सम्मान को बचाने और संविधान की रक्षा के लिए है.”

आंकड़ों पर कितनी दमदार है महान दल की हुंकार

समाजावादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अब बड़े दलों के बजाय छोटे दलों के साथ हाथ मिलाने के फॉर्मूले को लेकर चल रहे हैं. इस कड़ी में सपा ने महान दल के साथ हाथ मिलाकर राजनीतिक समीकरण बनाने की कवायद की है. ऐसे में सवाल उठता है कि महान दल का अपना राजनीतिक वजूद क्या है और सूबे के किन क्षेत्रों और समुदाय के बीच राजनीतिक ग्राफ है, जिसके साथ मिलकर अखिलेश यादव सत्ता में वापसी करना चाहते हैं?

केशव देव मौर्या ने बसपा छोड़कर 2008 में महान दल का गठन किया था, जिसके बाद से सूबे में अपने राजनीतिक वजूद को स्थापित करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. यूपी में मौर्य समाज के लोग बौद्ध धर्म तेजी से अपना रहे हैं, क्योंकि ये सम्राट अशोक के वंशज मानते हैं. ये कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी, कम्बोज, भगत, महतो, मुराव, भुजबल और गहलोत बिरादरी का समूह है. उत्तर प्रदेश में यह आबादी 6 फीसदी है, जो एक समय में बसपा का मजबूत वोटबैंक हुआ करता था.

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हालांकि, स्वामी प्रसाद मौर्या और बाबू सिंह कुशवाहा के पार्टी से बाहर होने के बाद इस समुदाय का बसपा से मोहभंग हुआ. केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य के चलते समुदाय बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है. ऐसे में महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्या सूबे के इन्हीं 6 फीसदी वोटों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कवायद में है. महान दल सूबे के मौर्य समाज को प्रतिनिधित्व देने की नहीं बल्कि अपना राजनीतिक वजूद खड़ा करने की बात करता है.

2008 में पहली बार वजूद में आया था महान दल

बता दें कि 2008 में वजूद में आए महान दल ने पहली बार 2009 लोकसभा में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ी थी. 2009 में प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, उस चुनाव में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. इसके बाद 2014 में महान दल ने तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले. 2019 में फिर कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े, लेकिन इस बार जीत नसीब नहीं हुई.

हालांकि, 2012 के विधानसभा में महान दल जीत नहीं सकी थी, लेकिन 20 सीटों पर प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था. मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट से महान दल के प्रत्याशी विजय कुमार 46 हजार 556 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. बिजनौर के चांदपुर में अरविंद कुमार को 31 हजार 495 मत मिले थे. ऐसे ही नूरपुर के गौहर इकबाल को 32 हजार 141, नोगांव सादात से महमूद अली को 32 हजार 184, बहेड़ी से वैजंति बाला को 28 हजार, ददरौल से देवेंद्र पाल को 28 हजार, पटियाली से श्याम सुंदर सिंह को 28 हजार 181 और कांठ से महान दल के प्रत्याशी को 24 हजार वोट मिले थे.

वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में महान दल ने 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिन्हें करीब साढ़े 6 लाख वोट मिले हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में महान दल के प्रदर्शन में 2012 की तुलना में गिरावट आई और सिर्फ चार विधानसभा कासगंज, मधुगढ़, अमांपुर और पटियाली में ही उनके प्रत्याशी को 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे. महान दल का जनाधार बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद के इलाका में अच्छा खासा है. ऐसे में अब देखना है कि यादव और मौर्य मिलकर सूबे में क्या सियासी गुल खिलाते हैं? क्योंकि आशीष यादव को 2022 के विधानसभा चुनाव में महान दल से बहुत उम्मीदें हैं.

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