UP news: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जलवंशियों ने बिगुल फूंक दिया है. जलवंशी मोर्चा के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र निषाद में ऐलान किया है कि 2022 के चुनाव में हम सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं होंगे हमें अपना हक चाहिए.
UP news: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत का लोहा मनवाने के लिए जलवंशी समुदाय ने गोलबंदी शुरू कर दी है. जलवंशी मोर्चा के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र निषाद में लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए साफ शब्दों में यह कह दिया है कि जो हमारे समुदाय के हक और आरक्षण की बात करेगा हम उसके साथ खड़े होंगे.
यूपी में 18% है जलवंशियों की आबादी
निषाद, मल्लाह, केवट, धीमर, कश्यप, बिंद और गोरई जैसी जातियों की आबादी को अगर मिला दें उत्तर प्रदेश में जलवंशीयों की आबादी करीब 18 फ़ीसदी के आसपास है. यानी चुनाव में यह जातियां निर्णायक भूमिका में होती हैं लेकिन एकजुटता की कमी की वजह से यह हमेशा हास्य पर रही हैं. जलवंशी मोर्चा का स्पष्ट कहना है कि अब और नहीं हमें अपना हक चाहिए.
जलवंशी मोर्चा ने उठाई आरक्षण की मांग
UP news: लखनऊ के होटल अमांडा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जलवंशी मोर्चा के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र निषाद ने कहा कि उन्हें अब आरक्षण से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देती है. तो 15 नवंबर को यमुना एक्सप्रेस वे पर चक्का जाम किया जाएगा. इस मौके पर उन्होंने जलवंशीयों के पिछड़ेपन का मुद्दा भी उठाया.
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उन्होंने कहा, हमारा समुदाय आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक भागीदारी के तौर पर काफी पिछड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि जल वंशी मोर्चा का गठन जलवंशी क्रांति दल, एकलव्य सेना, राष्ट्रीय जन संभावना पार्टी और भारतीय मानव समाज पार्टी जैसे दलों ने मिलकर किया है.
जलवंशी मोर्चा ने किया विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जल वंशी मोर्चा के अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वह प्रदेश की सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 220 ऐसी सीटें हैं जहां पर हमारे जलवंशी समुदाय के करीब 18 फ़ीसदी के आसपास वोट हैं. और हम अपने लोगों को एकजुट करने के लिए पूरी रणनीति के साथ काम कर रहे हैं.
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले जलवंशी मोर्चा ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है और अब वह सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल होना नहीं चाहता. आगामी चुनाव में अगर यह मोर्चा मैदान में उतरता है तो निश्चित तौर पर सपा, बसपा और भाजपा तीनों ही दलों को परेशानी खड़ी हो सकती है. क्योंकि पूर्वांचल की कई सीटों पर जलवंशीयों का वोट ठीक-ठाक तादात में है.
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