लगता है पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार से प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव प्रसन्न नहीं हैं. उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सलाह दी है कि वह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की ताकत को समझें.
भले ही चाचा शिवपाल भतीजे से अलग होकर अपनी राजनीति कर रहे हो लेकिन उन्हें अखिलेश यादव की हार अच्छी नहीं लगती. शायद इसीलिए ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादियों की शिकस्त पर शिवपाल यादव ने खुलकर अपनी बात रखी. शिवपाल यादव ने कहा लखीमपुर में महिला प्रत्याशी से जो अभद्रता हुई है उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भतीजे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव Akhilesh Yadav को नसीहत भी दी है कि प्रदेश भर में प्रदर्शन के बजाए लखनऊ में जयप्रकाश नारायण तथा अन्ना हजारे की भांति आंदोलन शुरू करें तभी पीडि़ता को न्याय मिल पाएगा.
‘लड़ाका होते हैं समाजवादी उनकी ताकत को पहचानो’
प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता लड़ाका है उसे लड़ने देना चाहिए. उन्होंने अखिलेश यादव को सलाह देते हुए कहा क्या घर 2022 में समाजवादी पार्टी को अपना प्रदर्शन सुधारना है तो कार्यकर्ताओं के जोश और उत्साह को बरकरार रखना होगा. हालांकि उन्होंने अपनी बात में आगे जोड़ते हुए यह भी कहा कि 2022 में जो सरकार बनेगी, उसकी चाबी प्रसपा के पास ही रहेगी. उन्होंने कहा ‘हमारे बिना कोई सरकार नहीं बना पाएगा. किसी दल का नाम लिए बगैर कहा कि हमारा गठबंधन किसी बड़े दल से जल्द होगा. अपनी कर्मस्थली जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में तीन निर्विरोध तथा एक में मतदान से पार्टी के ब्लाक प्रमुख बनने पर कहा कि प्रसपा को क्षेत्र जनता ने अपार समर्थन दिया है. कहा, वर्तमान दौर में फेसबुक, ट्वीटर भी जरूरी हैं, लेकिन चुनाव जीतने के लिए धरातल पर जनसंपर्क भी बेहद जरूरी है.
शिवपाल सिंह यादव की बातों से ऐसा लग रहा था कि चाचा भतीजे के बीच पैदा हुई खटास वक्त के साथ कम हो रही है और आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर भी दिखाई देगा. अखिलेश यादव की ओर से भी ऐसे संकेत मिले हैं कि उन्होंने चाचा की पार्टी के साथ तारतम में बनाने की प्लानिंग कर ली है. ऐसे में यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है अखिलेश यादव चाचा की सलाह को किस तरह से लेते हैं क्योंकि समाजवादियों की नब्ज का अंदाजा जितना शिवपाल सिंह यादव को है उतना शायद अखिलेश यादव को नहीं.
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