Akhilesh Yadav से हुई बहुत बड़ी गलती, नेताजी ने बताया कहां मिस कर गए सपा प्रमुख?

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Akhilesh yadav with netaji

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने हार के कारणों पर मंथन शुरू कर दिया है.

पहले जिला पंचायत और फिर ब्लॉक प्रमुख चुनाव समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को दोनों चुनावों में शिकस्त मिली है. अब वह हार की समीक्षा कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि पंचायत चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि वो सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के आगे बेबस हो गए.

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहना है कि जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में जनता का समर्थन समाजवादी पार्टी के साथ था. हमारे बीडीसी और प्रधान सबसे ज्यादा जीते. लेकिन जनादेश की बीजेपी को कोई परवाह नहीं है. लोकतंत्र में ऐसा नंगा नाच किसी सरकार में नहीं हुआ. इतनी गुंडागर्दी की कोई कल्पना नहीं कर सकता था. अगर कोई पर्चा लेने गया तो वहां प्रशासन ने पर्चा छीनने का इंतजाम किया.

उन्होंने आगे कहा कि हमारी बहनों का अपमान हुआ. ब्लॉक प्रमुख बनने के लिए पैसा चला, झूठे मुकदमे लगाए गए. लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर लड्डू खाए जा रहे हैं. ये योगी नहीं हो सकते हैं. अगर कोई योगी होता तो शायद जनता को दुख नहीं देता.

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से क्या गलती हुई?

अब जब सपा प्रमुख हार के कारणों पर मंथन कर रहे हैं तब उन्हें समाजवादी पार्टी के आम कार्यकर्ता के मन की बात भी समझनी होगी. दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का आम कार्यकर्ता मुलायम शैली की राजनीति पसंद करता है. सपा के कार्यकर्ताओं को आक्रामक रणनीति और आक्रामक राजनीति रास आती है. अखिलेश यादव यही चूक कर रहे हैं. नाम न बताने की शर्त पर लगभग 30 सालों से समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह से जुड़े एक वरिष्ठ सपा नेता बताते हैं कि ‘जब मुलायम सिंह यादव पार्टी के अध्यक्ष थे तब किसी की मजाल नहीं थी कि कार्यकर्ता के तरफ हाथ तो दूर आंख उठाकर भी देख लेता’

उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव टि्वटर, फेसबुक की राजनीति कर रहे हैं और योगी आदित्यनाथ आक्रामक राजनीति कर रहे हैं. इस मामले में अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ से पिछड़ते हुए दिखाई देते हैं. इसलिए अगर 2022 में अखिलेश यादव को सीएम बनना है तो सपा के कार्यकर्ताओं के भीतर उनके आत्मसम्मान को बनाए रखना होगा और नेताजी जैसी राजनीतिक शैली को अपनाना होगा. पंचायत चुनाव में मिली शिकस्त से आहत कई युवा कार्यकर्ताओं से राजनीति ऑनलाइन में बात की. और लगभग सभी एक सुर में इस बात से सहमत दिखाई देते हैं किस सपा को आक्रामक राजनीति करनी होगी.

मुलायम शैली की राजनीति को मिस कर रहे सपा के युवा कार्यकर्ता

समाजवादी पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को आज अखिलेश का सधा और सीधा अंदाज़ पसंद नहीं आ रहा. उनका मानना है की ईंट का जवाब पत्थर से देने की नेताजी की शैली को अपनाकर ही 2022 में सत्ता में वापसी हो सकती है. ब्लाक प्रमुख के चुनाव में किस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने प्रशासन का दुरुपयोग किया उससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि अगर अखिलेश यादव ने वक्त रहते कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुनी तो आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से पार पाना आसान नहीं होगा. लखीमपुर खीरी के एक युवा सपा कार्यकर्ता अभय मिश्रा ने बताया कि ‘हम अखिलेश जी के आदेश का इंतजार कर रहे हैं और जिस तरह से बीजेपी वाले दुशासन बने हैं उसका इंतकाम जरूर लिया जाएगा’

अभय बताते हैं भारतीय जनता पार्टी जिस ढंग की राजनीति को बढ़ावा दे रही है उससे निपटने के लिए सपा को भी अपने पुराने रंग में आना पड़ेगा. क्योंकि गालियों का जवाब तालियों से नहीं दिया जा सकता. आज जब पूरे प्रदेश में ब्लाक प्रमुख के चुनाव में हुई हिंसा की चर्चा हो रही है तब सपा का आम कार्यकर्ता अखिलेश यादव से मुलायम शैली की राजनीति करने की गुजारिश कर रहा है. क्योंकि अगर जिला पंचायत चुनाव से पहले अखिलेश यादव यह समझ गए होते तो योगी आदित्यनाथ की रणनीति शायद उतनी कारगर ना होती.

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