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जब अखिलेश ने कहा- ‘हार के जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं’, खिलखिला के हंसे चाचा शिवपाल

Zila Panchayat Adhyaksh Election: भाजपा ने यूपी की 75 में से 22 सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की है, लेकिन वह इटावा में अपना उम्‍मीदवार भी नहीं उतार सकी. इटावा में भाजपा की उम्‍मीदों पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और शिवपाल सिंह यादव के अघोषित गठजोड़ ने पानी फेर दिया.

यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष (Zila Panchayat Adhyaksh) के चुनावों को लेकर योगी सरकार (Yogi Government) और समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बीच जोरदार तकरार चल रही है. भाजपा ने सूबे की 75 में से 22 सीट पर निर्विरोध जीत दर्ज की है, लेकिन इस बाबत सपा का कहना है कि यह जबरदस्‍ती की जीत है, क्‍योंकि उनके कैंडिडेट को या तो पर्चा नहीं भरने दिया गया या फिर उनका पर्चा खारिज करवा दिया.

हालांकि अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद यूपी की सत्‍ता पर काबिज भाजपा को समाजवादी गढ़ यानी इटावा में सेंध लगाने का मौका नहीं मिल सका. यही वजह है कि इटावा में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे अभिषेक यादव ने निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्‍जा कर लिया है.

बहरहाल, यूपी में अब जिला पंचायत अध्‍यक्ष पद के लिए 53 जिलों के लिए 3 जुलाई को मतदान और मतगणना होगी, लेकिन इस समय इटावा को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इस सीट पर करीब तीन दशक से मुलायम परिवार का कब्‍जा बरकरार है.

सूत्रों की मानें तो भाजपा ने इटावा पर कब्‍जा करने के लिए कई महीने पहले ही अपनी रणनीति बनाने के साथ दो सांसद और दो विधायकों को लगा दिया था. जबकि खुद यूपी भाजपा अध्‍यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भगवा ध्‍वज लहराने के लिए जी जान लगा दी थी, लेकिन चाचा-भतीजे के अघोषित तालमेल ने भाजपा के अरमानों पर पानी फेर दिया है.

स्वतंत्र देव सिंह ने कहा था कि इटावा का जिला पंचायत अध्यक्ष इस बार भाजपा का बनेगा और वो नामांकन के दिन ही पता चल जाएगा, लेकिन समाजवादी गढ़ में जीतना तो दूर भाजपा यहां अपना उम्‍मीदवार भी नहीं उतार सकी क्‍योंकि उसे प्रस्‍तावक नहीं मिल सका था.

साफ है कि योगी राज में भी मुलायम कुनबे ने इटावा में अपना कब्जा बरकरार रखकर अपनी ताकत दिखा दी है. यही नहीं, कोरोना काल में इटावा और सैफई दौरे पर गए सीएम योगी ने भी संगठन को चुनाव की संजीदगी का एहसास कराया था.

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