Site icon Rajniti.Online

अखिलेश के करीब आ रहे हैं चाचा शिवपाल सिंह, पर एक शर्त बनी अड़ंगा!

अखिलेश यादव की मुश्किलें आसानी से खत्म होती नजर नहीं आ रही. अखिलेश पूरी कोशिश कर चुके हैं कि उनके चाचा शिवपाल सिंह किसी तरह चुनावी मैदान में उनके साथ नजर आए. पर बात नहीं बनी. अब शिवपाल के तेवर भी नर्म होते नजर आ रहे हैं. पर शर्त के साथ.

उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में अखिलेश यादव एक बड़े खिलाड़ी हैं लेकिन उनके सामने अपनों की ही चुनौती है. उनके सामने चुनौती है चाचा शिवपाल की. और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा मुखिया इस चुनौती से निपटने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. सैफई में एक पारिवारिक शादी हो या फिर टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दिखा अखिलेश का नरम रुख, यह साफ संकेत मिल रहा है कि सपा सुप्रीमो चाचा शिवपाल के करीब जा रहे हैं.

एक शर्त जिसके चलते बिगड़ सकता है खेल!

सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मिलन के बीच में एक शर्त आ गई है. अगर अखिलेश यादव उनकी शर्त मानते हैं तो शिवपाल उनके साथ मंच साझा कर सकते हैं. पर शिवपाल की शर्त इतनी आसान है नहीं. क्या है शर्त और क्यों है अखिलेश के लिए मुश्किल? यह जानने के लिए हमें यह समझना होगा क्या अखिलेश और शिवपाल अलग क्यों हुए थे. दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में टूट का एक प्रमुख कारण था स्वार्थ. और शिवपाल की शर्त की स्वार्थ से जुड़ी हुई है.

Also read:

सत्ता के लिए अखिलेश का शिवपाल से मिलन जरूरी

अगर 2022 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की सत्ता चाहते हैं तो इसके लिए शिवपाल सिंह यादव से मिलन जरूरी है. और यह मिलन तभी संभव है जब अखिलेश यादव शिवपाल सिंह यादव की शर्त मान लें. और यह शर्त है सीट बंटवारे से जुड़ी हुई. दरअसल शिवपाल यादव हिस्सा चाहते हैं वो उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं जहां प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का संगठन मजबूत है. हालांकि अखिलेश यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह चाचा की पार्टी का पापा की पार्टी में विलय हो जाए लेकिन हाल फिलहाल में यह मुमकिन नजर नहीं आता.

अहम सवाल यह है कि क्या अखिलेश यादव चाचा शिवपाल की शर्त मानेंगे. और नहीं मानेंगे तो क्या वह चाचा को मना पाएंगे सपा में प्रसपा के विलय के लिए…क्योंकि 2022 के रण में भारतीय जनता पार्टी की चुनौती से निपटना आसान नहीं होगा क्योंकि जिस तरह की चुनावी बिसात उत्तर प्रदेश में बिछाई जा रही है उसके लिए सपा का संगठित होना बहुत जरूरी है.

यह भी पढ़ें:

अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

Exit mobile version