जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. तीन पीढ़ियों तक कांग्रेसी रहे प्रसाद आखिर में भाजपाई क्यों हुए और इससे क्या उत्तर प्रदेश में उनका ब्राह्मण चेहरा बनने का सपना पूरा होगा?
“मैंने आठ-दस साल से महसूस किया है कि अगर आज कोई असली मायने में राजनीतिक दल है, जो संस्थागत है तो वो भारतीय जनता पार्टी है. बाकी दल तो व्यक्ति विशेष या क्षेत्रीय हैं. राष्ट्रीय दल के नाते भारतीय जनता पार्टी ही है.” यह बात जितिन प्रसाद ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कही. जितिन प्रसाद की तीन पीढ़ियां कांग्रेस में रही हैं लेकिन अब उन्हें भारतीय जनता पार्टी का साथ पसंद आ रहा है. कांग्रेस छोड़कर बुधवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने वाले उत्तर प्रदेश के नेता जितिन प्रसाद ने जो सवाल पूछा, उसका जवाब भी ख़ुद ही दिया.
जितिन प्रसाद के जवाब और यूपी की राजनीतिक हलचल
जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. जितिन प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भारतीय जनता पार्टी के नेता अनिल बलूनी की मौजूदगी में जो सवाल उठाए उनसे हफ़्तों बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में सवालों की सुई सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से हटकर कांग्रेस की तरफ चली गई. हालांकि, कांग्रेस ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में जितिन प्रसाद के कदम को ‘विश्वासघात’ बताया है. जितिन प्रसाद अपने राजनीतिक कैरियर के एस्से दौर में हैं जहां उनके लिए अस्तित्व का सवाल बन गया है.
पिछले दो चुनावों से उन्होंने जीत हासिल नहीं की है और वह अपने ही क्षेत्र तक सीमित हो गए हैं. कांग्रेस के लिए एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में उनकी प्रासंगिकता लगातार खत्म होती जा रही थी और जिस इलाके से वह आते हैं वहां भी ब्राह्मण पूरी तरह से उनके पीछे लामबंद नहीं लगते ऐसे में क्या बीजेपी जितिन प्रसाद का राजनीतिक लाभ ले पाएगी यह प्रश्न 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा. फिलहाल तो गणित यही कहता है जितिन प्रसाद का इस्तेमाल बीजेपी ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने के लिए करना चाहती है.
जितिन प्रसाद की गिनती कांग्रेस के कद्दावर युवा नेताओं में होती थी. पिता की राजनीतिक विरासत संभालने वाले जितिन प्रसाद केंद्र की मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे थे. उन्हें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का क़रीबी माना जाता था. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह भी जितिन प्रसाद का बीजेपी में जाना कुछ लोगों को हजम नहीं हो रहा है.
जितिन प्रसाद के एंट्री से बीजेपी खेमे में कैसी प्रतिक्रियाएं?
योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर लिखा, “कांग्रेस छोड़कर भाजपा के वृहद परिवार में शामिल होने पर श्री जितिन प्रसाद जी का स्वागत है. श्री जितिन प्रसाद जी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में पार्टी को अवश्य मजबूती मिलेगी.” भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के पहले जितिन प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाह को ‘कर्मयोगी’ बताया. शाह ने भी कहा कि प्रसाद के आने से पार्टी मजबूत होगी. जितिन प्रसाद को बीजेपी की सदस्यता दिलाने वाले पीयूष गोयल ने भी जितिन प्रसाद के मंत्री के रूप में अनुभव और कामकाज की सराहना की.
2022 में बीजेपी को कितना फायदा पहुंचा पाएंगे जितिन प्रसाद?
जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं. जितिन ने उनकी विरासत को भी ही संभाला है. उन्होंने 2004 और 2009 में लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीता. लेकिन उसके बाद से चुनावी राजनीति में वो कोई करिश्मा नहीं कर पाए हैं. पार्टी ने भी हाल फिलहाल उन्हें जो ज़िम्मेदारी दी है, वहां वो उम्मीद के मुताबिक नतीजे देने में नाकाम रहे हैं. पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जितिन प्रसाद कांग्रेस के प्रभारी थे जहां कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा.
हालांकि, राजनीतिक हलकों में कई लोगों की राय है कि पश्चिम बंगाल में लड़ाई सीधी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के बीच थी, जहां जितिन प्रसाद के पास बहुत कुछ कर दिखाने का मौका नहीं था. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं. चुनाव फरवरी 2022 में हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव अभी तीन साल दूर हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद के लिए विधानसभा चुनाव ही प्रदेश की राजनीति में ख़ुद को जमाए रखने का अच्छा मौका हो सकता है.
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