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मायावती के पांव उखाड़ने की तैयारी में अखिलेश, BSP में मचेगी खलबली

मायावती और अखिलेश यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में साथ आए थे. लेकिन इस गठबंधन का नुकसान अखिलेश यादव ने अकेले उठाया. अब 2022 में अखिलेश बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं.

बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विधान मंडल दल के नेता लालाजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. इनके समाजवादी पार्टी के संपर्क में होने की बात कही जा रही है.

मायावती को कैसे झटका दे सकते हैं राम और लाल?

अखिलेश यादव के संपर्क में थे ये दोनों नेता

रामअचल राजभर अकबरपुर से 4 बार विधायक रहे हैं. दोनों नेता मायावती सरकार में मंत्री भी रहे हैं. कुछ दिनों पहले हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी दोनों विधायकों ने पार्टी के उम्मीदवारों की जगह दूसरे उम्मीदवारों का समर्थन किया था. अब शाह आलम उर्फ गड्डू जमाली को बसपा विधानमंडल दल का नेता बनाया गया है. वह आजमगढ़ के मुबारकपुर से लगातार दूसरी बार के विधायक हैं.

मायावती सरकार में मंत्री रहे रामअचल राजभर

वहीं रामअचल राजभर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अकबरपुर ब्‍लॉक प्रमुख चुनाव से की थी. वह 1991 में बसपा से विधायकी का चुनाव लड़े लेकिन हार गए. फिर 1993 में बसपा से विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इसके बाद वह 1996, 2002 और 2007 में विधायक बने. मायावती की सरकार में उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया. उन पर घोटाले के कई आरोप भी लगे.

अखिलेश यादव अच्छी तरह से जानते हैं 2022 के विधानसभा चुनाव में मायावती के वोट बैंक का एक छोटा सा हिस्सा भी अगर समाजवादी पार्टी के हिस्से आता है यह उनकी बड़ी जीत होगी. राम अचल राजभर और लाल जी वर्मा दोनों अपने अपने क्षेत्रों के मजबूत नेता माने जाते हैं और उनका जनाधार भी है. अगर यह दोनों नेता अखिलेश यादव के खेमे में जोड़ते हैं तो इसका सीधा सीधा नुकसान मायावती को होगा.

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