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यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं, बंद दरवाजों के भीतर क्या खिचड़ी पक रही है?

यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. महामारी में खराब मैनेजमेंट के चलते हुई सरकार की किरकिरी ने केंद्रीय नेतृत्व के कान खड़े कर दिए हैं. आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, उत्तर प्रदेश में भाजपा आत्ममंथन और समीक्षा के दौर में है.

यूपी बीजेपी के बड़े नेता लखनऊ में बंद दरवाजों के भीतर बैठकों में व्यस्त हैं और बाहर इस बात की चर्चा गर्म है कि कुछ बड़ा होने वाला है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह और राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष आज भाजपा प्रदेश कार्यालय पर योगी सरकार के तमाम मंत्रियों से राजनीतिक फ़ीडबैक लेते नज़र आएं.

यूपी बीजेपी को सता रहा है हार का डर

ये सरगर्मियां इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि बंगाल में क़रारी चुनावी शिकस्त और हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में अयोध्या, गोरखपुर, बनारस और मथुरा जैसे भाजपा गढ़ो में उम्मीदों से ख़राब प्रदर्शन के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश 2022 की चुनौती के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. लेकिन परेशानी यह है की महामारी के बाद हुए नुकसान की भरपाई की कैसे जाए?

यूपी बीजेपी को केशव का सहारा?

लखनऊ में इस बात को लेकर काफी सरगर्मियां है कि केशव प्रसाद मौर्या को केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकता है. यूपी बीजेपी में बैठकों का दौर भी केशव प्रसाद मौर्य से ही शुरू हुआ. उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या ने एक लम्बी चली बैठक ख़त्म होने के बाद मौर्या ने मीडिया से कहा कि, “मैं खुद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हूँ. हम अपने अध्यक्ष जी की अगुवाई में फिर 300 पार कराएँगे. क्या बात है?”

केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तनातनी की खबरें पहले भी आती रही हैं लेकिन इन दिनों हालात बदले हुए हैं और सीएम योगी पर केशव प्रसाद मौर्या बढ़त बनाए हुए हैं. अपने बयान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ज़िक्र न करने से, अटकलें लगने लगीं कि आने वाले दिनों में भाजपा कोरोना महामारी के ख़राब मैनेजमेंट से हुए पार्टी के छवि को हुए नुकसान काम करने में लगी हुई है.

पिछले 2 दिनों से जारी है बैठकों का दौर

रविवार से लेकर अब तक कुल प्रदेश के बारह मंत्री इस दो सदस्यीय दल से मुलाकात कर चुके हैं. कुछ दिनों पहले पार्टी के सीतापुर से विधायक राकेश राठौड़ ने यह तक कह दिया कि ज़्यादा बोलने पर उनके खिलाफ देशद्रोह की करवाई भी हो सकती है. इस तनावपूर्ण माहौल में इस तरीके के फीडबैक सेशन की अहमियत और भी बढ़ जाती है और अब केंद्रीय दख़ल के दरवाज़े खुलते नज़र आ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को कुछ महीने ही बाकी हैं और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कोई चुप करके देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबों में से एक उत्तर प्रदेश को गंवाना नहीं चाहती. इसलिए प्रदेश में फैली नाराजगी को खत्म करने के लिए पार्टी मंथन चिंतन कर रही है.

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