किसान आंदोलन ने राज्य सरकारों को खेती की चिंता करने के लिए मजबूर कर दिया है. हाल ही में पेश हुए कुछ राज्य सरकारों के बजट में इस बात के संकेत भी मिले हैं. राजस्थान सरकार ने अगले साल से कृषि पर अलग से बजट का ऐलान किया है जबकि यूपी सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की है
किसान आंदोलन का ही असर है की राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 24 फरवरी को राज्य का बजट पेश करते हुए घोषणा की कि अगले साल से कृषि पर अलग बजट होगा. उन्होंने कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को विशेष रूप से बिजली प्रदान करने के लिए एक अलग कृषि बिजली वितरण कंपनी की भी घोषणा की.
इसके अलावा, राज्य किसानों को 16,000 करोड़ तक का ब्याज मुक्त फसली ऋण प्रदान करेगा. उन्होंने नौ मिनी फूड पार्क, एक मेगा फूड पार्क, तीन कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों के लिए कई अन्य लाभों की भी घोषणा की. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों से जुड़ी योजनाओं पर ज्यादा ही गौर किया.
किसान आंदोलन ने सरकारों को किया मजबूर
किसान आंदोलन को 3 महीने पूरे हो गए हैं और अभी भी हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहा यह आंदोलन ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि इसके पीछे धीरे-धीरे करके लाखों किसान लामबंद हो रहे हैं. इतना ही नहीं इस आंदोलन में राज्य सरकारों को मजबूर किया है कि वह किसानों को ध्यान में रखकर अपनी योजनाएं बनाएं. हाल के दिनों में जिन राज्य सरकारों ने अपना बजट पेश किया है उसमें किसान आंदोलन का असर साफ दिखाई दिया है फिर चाहे वह उत्तर प्रदेश हो या राजस्थान.
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