कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच खाई बढ़ती जा रही है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कृषि क़ानून वापस नहीं हुए तो उनका सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.
मोदी सरकार और किसानों के बीच अविश्वास की खाई लगातार बढ़ती जा रही है. एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि उनके और किसानों के बीच सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की सरहदों पर दिल्ली पुलिस कीलें और कटीले तार की बागबंदी कर देती है. वहीं दूसरी तरफ किसान संगठन कहते हैं कि वह सरकार से बातचीत को तैयार हैं लेकिन कृषि कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र की मोदी सरकार को तल्ख लहजे में चेतावनी दी है. राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कृषि क़ानून वापस नहीं हुए तो उनका सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.
यह वही राकेश टिकैत हैं जो गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन खत्म होता देख फूट-फूट कर रोए थे. यह वही राकेश टिकैत हैं जिनके आवाहन पर गाजीपुर बॉर्डर एक बार फिर से किसानों ने गुलजार किया और किसान आंदोलन तेज हुआ. हरियाणा के जींद ज़िले में किसानों की महापंचायत में टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन धीमा नहीं होगा और “इस आंदोलन का कोई नेता नहीं हैं, इसके नेता किसान हैं. उन्होंने कहा, “आंदोलन लंबा चलेगा और धीमा नहीं होगा. हमारे जिन किसान प्रतिनिधियों से सरकार बातचीत कर रही थी, उनसे सरकार बातचीत करना जारी रखे. जो भी वो कहेंगे वो हम करेंगे.” टिकैत ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, “सरकार कान खोलकर सुन ले, हमने अभी बिल वापसी की बात की है, अगर इस नौजवान ने गद्दी वापसी की बात कर दी तो क्या करोगे? इस आंदोलन को कोई दबा नहीं कर सकते, हमारी ये लड़ाई ज़मीन बचाने की है. हम तिजोरी में अनाज बंद नहीं होने देंगे.”
“जब-जब राजा डरता है, किलेबंदी करता है.”
राकेश टिकैत के आंसू ने किसान आंदोलन को धार देती है. 26 जनवरी को हुई घटना के बाद जो आंदोलन खत्म होता दिखाई दे रहा था अचानक 27 जनवरी को राकेश टिकैत ने अपने उन आंसुओं से आंदोलन को सींच दिया. अभी आंदोलन जोरदार तरीके से फैल रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा राजस्थान के किसान भी बड़ी संख्या में लामबंद हो रहे हैं और इससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दिल्ली में किसानों को जमा होने से रोकने की कोशिशों पर हमला करते हुए टिकैत ने नारे लगवाते हुए कहा – “जब-जब राजा डरता है, किलेबंदी करता है.” राकेश टिकैत अपने पीछे लामबंद होते किसानों की ताकत के साथ मोदी सरकार को सीधी चुनौती दे रहे हैं. हरियाणा के जींद में जमा हुए हजारों किसान राकेश टिकैत के भाषण को सुनने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ न सिर्फ आक्रोशित हो रहे थे बल्कि एक सुर में यह कह रहे थे कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती आंदोलन खत्म नहीं होगा.
मंच टूटा लेकिन किसानों के हौसले नहीं
हरियाणा के जींद ज़िले में किसानों की महापंचायत के दौरान स्टेज टूट गया. महापंचायत में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में किसान वहां पहुंचे थे. यहां किसान नेता राकेश टिकैत भी मौजूद थे. महापंचायत के दौरान मंच टूटने पर उन्होंने कहा “पंचायत में मंच टूट गया, अच्छा हुआ, भाग्यवान लोगों के मंच टूटते हैं… ये लोग भी वही हैं, ये ट्रैक्टर भी वही हैं.” राकेश टिकैत 27 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर हुई घटना के बाद से काफी सक्रिय हो गए हैं. अब वह किसान आंदोलन के केंद्र में हैं और अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि यह आंदोलन उनके जीवन में एक बहुत बड़ा मोड ला सकता है. यही कारण है कि वह कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते. जींद के उनके भाषण से तो यही लगता है.
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