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किसानों के सामने आधा झुकी मोदी सरकार, नए प्रस्ताव में ये है नई बात

किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार के घमंड को चूरा कर दिया है. 10 राउंड कि बातचीत के बाद अब ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों के आगे आधा झुक गई है. बुधवार को किसानों और सरकार के बीच हुई 10वें दौर की बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के सामने कृषि क़ानूनों को 18 महीने के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है.

50 दिन से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों का प्रदर्शन कब समाप्त होगा यह अब तक साफ़ नहीं है लेकिन बुधवार को केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को लेकर एक अहम प्रस्ताव पेश किया है. द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को किसानों और सरकार के बीच हुई 10वें दौर की बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के सामने कृषि क़ानूनों को 18 महीने के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई विशेषज्ञों की समिति के आगे किसानों ने पेश होने से इनकार कर दिया है जिसको लेकर भी केंद्र सरकार ने किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच एक संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है.

दोनों पक्षों ने शुक्रवार को अगले चरण की बैठक के लिए हामी भर दी है. केंद्र सरकार की ओर से किसानों से बात कर रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि 22 जनवरी को इस मामले की समाधान निकल जाएगा. डेढ़ साल तक क़ानून के निलंबित रहते हुए यह समिति किसानों की समस्याओं को सुनेगी और एक रिपोर्ट बनाएगी. उधर किसानों ने भी सरकार के प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज नहीं किया है. तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों का कहना है कि वे गुरुवार को इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे.

जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू बुधवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में शामिल थे. उन्होंने कहा कि मंत्रियों ने 18 से 24 महीनों तक क़ानूनों को न लागू करने का प्रस्ताव दिया है और इससे जुड़ा एफ़िडेविट सुप्रीम कोर्ट में भी दायर किया जाएगा. दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की पहल का स्वागत तो करते हैं मगर उनका आरोप है कि जो कमिटी किसानों की मांगों को लेकर बनाई गई है ‘वो सरकार के ही पक्ष’ में काम करेगी.

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