सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि क़ानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है. लेकिन किसान आंदोलन जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने धरने पर बैठे किसानों से बात करने के लिए चार सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया है. मगर किसानों का कहना है कि वह कमेटी में शामिल नहीं होंगे.
चीफ़ जस्टिस की अगुवाई में तीन जजों की बेंच कृषि कानूनों के मामले में दाखिल याचिका की सुनवाई कर रही है. चीफ़ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, “अगले आदेश तक इन तीनों कृषि क़ानूनों के लागू होने पर रोक लगी रहेगी.” चीफ़ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, “हम कमिटी का गठन कर रहे हैं ताकि हमारे सामने एक साफ तस्वीर आ सके. हम यह दलील नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमिटी के सामने नहीं जाएंगे. हम समस्या का समाधान चाहते हैं. अगर आप अनिश्चित समय के लिए विरोध-प्रदर्शन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं. “उन्होंने आगे कहा, “हम क़ानून की वैधता को लेकर चिंतित हैं. साथ ही हम विरोध-प्रदर्शन से प्रभावित हो रहे लोगों की ज़िंदगी और संपत्तियों को लेकर भी फिक्रमंद हैं. हमारे पास जो शक्तियाँ हैं हम उसके अनुरूप ही इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं और हमारे पास क़ानून को निरस्त करने और कमिटी गठित करने का अधिकार है.”
कोर्ट ने जिस कमिटी का गठन किया है, उसके सदस्य हैं- बीएस मान, प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसानों के मुद्दे का हल निकालने के लिए बनाई गई कमेटी दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करे. इस कमेटी की पहली मीटिंग दस दिनों के भीतर करने का भी आदेश दिया गया है. लेकिन किसान संगठन इस कमेटी के सामने पेश होना नहीं चाहते. कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे 40 किसान संगठनों के मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने कोर्ट के फ़ैसले के बाद आगे की कार्रवाई के लिए मंगलवार शाम को बैठक बुलाई है.
जारी रहेगा किसान आंदोलन
किसान नेताओं का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित की गई किसी कमेटी की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं, हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में ही इसके बारे में कोई अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा के एक नेता अभिमन्यु कोचर ने कहा कि हम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हैं लेकिन हम ये भी चाहते हैं कि ये क़ानून पूरी तरह से वापस लिए जाएं.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है, “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रति जो सकारात्मक रुख दिखाया है. उसके लिए हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करते हैं. किसानों की मांग क़ानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को क़ानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.”
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