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मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में फिर कहा कि कृषि कानूनों से खुश हैं किसान

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने आनन-फानन में एक हलफनामा दायर करके अपना पक्ष रखा है. केंद्र की मोदी सरकार के हलफनामे में कहा गया है जो उनके द्वारा लाए गए कृषि कानूनों से किसान खुश हैं.

कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार और किसान संगठनों के बीच चले आ रहे गतिरोध के खत्म होने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चली लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने जहां अपनी नाराजगी जाहिर की है वहीं केंद्र कि मोदी सरकार ने कृषि क़ानूनों पर अपना पक्ष रखते हुए आनन-फ़ानन में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया है. सरकार ने कहा कि कुछ तथ्यों को सामने लाना ज़रूरी था, इसीलिए यह हलफ़नामा दायर किया जा रहा है. अपने हलफ़नामे में सरकार का कहना है कि कृषि सुधारों के लिए केंद्र सरकार पिछले दो दशकों से राज्य सरकारों से गंभीर चर्चा कर रही है. सरकार का दावा है कि देश के किसान इन कृषि क़ानूनों से ख़ुश हैं क्योंकि इनके ज़रिए उन्हें अपनी फ़सल बेचने के लिए मौजूदा सुविधाओं के अलावा अतिरिक्त अवसर मिलेंगे. सरकार के अनुसार इन क़ानूनों से उनके किसी भी अधिकार को नहीं छीना गया है. सरकार ने कहा कि पूरे देश में किसानों ने इस क़ानून को स्वीकार किया है और केवल कुछ ही किसान और दूसरे लोग जो इस क़ानून के ख़िलाफ़ हैं उन्होंने इसके वापस लिए जाने की शर्त रखी है.

सरकार के अड़ियल रुख से खफा हैं किसान

इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने केंद्र सरकार से अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर दी थी. केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फ़ैसला सुनाएगा. अदालत ने सख़्त तेवर दिखाते हुए कहा कि सरकार ने किसी राय-मशविरे के इस क़ानून को पारित किया है जिसका नतीजा है कि किसान एक महीने से भी ज़्यादा समय से धरने पर बैठे हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा पेश किया है. हलफनामे की भाषा को देखकर यह नहीं लगता कि सरकार किसानों की मांग मानने को तैयार है. सरकार कृष्ण कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को एक छोटे टुकड़े में देख रही है. उधर किसानों ने सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए गठित किसी भी कमेटी का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है. सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि इन कृषि क़ानूनों के अमल पर रोक लगाने पर विचार किया जा रहा है. सोमवार को अदालत ने सख़्त तेवर दिखाते हुए कहा कि सरकार और किसानों के बीच अब तक की बातचीत से कोई हल नहीं निकला है, इसलिए अदालत इस मसले के हल के लिए एक कमेटी का गठन कर सकती है.

किसानों ने कहा कि सोमवार शाम उन्होंने अपने वकीलों से लंबी बातचीत की और इसके फ़ायदे-नुक़सान पर विचार करने के बाद सर्वसम्मति से वो इसी नतीजे पर पहुँचे हैं कि सरकार के अड़ियल रवैये के कारण वो किसी भी कमेटी का हिस्सा नहीं बनेंगे. केंद्र सरकार ने कृषि क़ानूनों को जिस तरह से पारित किया और उसके बाद शुरू हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन को जैसे हैंडल किया गया है, उसे लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताई है.

https://youtu.be/yfyf8AMwKKs

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