पाकिस्तान में सेक्स के लती बुड्ढों के लिए बच्चियों का धर्मांतरण
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ बेहद घिनौना सलूक किया जा रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान में सालाना 1000 से ज्यादा अल्पसंख्यक बच्चियों का धर्मांतरण किया जाता है.
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकार नाम की कोई चीज नहीं है. ऐसी कई घटनाएं सामने आती रही हैं जिसमें अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ बर्बरता की हदें पार की गईं. लेकिन एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की मासूम बच्चियों के धर्मांतरण का काला सच सामने आया है. यह सच बेहद घिनौना है क्योंकि इसने पाकिस्तान के घिनौने चेहरे को बेनकाब किया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने पाकिस्तान को धार्मिक आजादी के उल्लंघन के लिए “खासतौर से चिंता में डालने वाला देश” घोषित किया है. पाकिस्तान की सरकार इससे इनकार करती है. यह घोषणा अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की समीक्षा का हिस्सा है. इस समीक्षा के मुताबिक कम उम्र की अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई और सिख समुदाय की लड़कियों का “जबरन इस्लाम में धर्मांतरण के लिए अपहरण किया जाता है. इनकी जबरन शादी की जाती है और बलात्कार होता है.”
पहले मुसलमान बनाते हैं फिर करते हैं यौन शोषण
पाकिस्तान में करीब एक हजार लड़कियों से हर साल जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता है. मुख्य रूप से नाबालिग और शादी के लिए सहमति देने की उम्र में नहीं पहुंची लड़कियों से शादी के लिए यह किया जाता है. कोरोना महामारी के दौरान तालाबंदी में यह काम और तेजी से हुआ है. इस दौर में लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं और अपने इलाके में ज्यादा दिखाई देती हैं. परिवार कर्ज में डूबे हैं और दुल्हनों के तस्कर इंटरनेट पर और इलाके में खूब सक्रिय हैं. धर्मांतरित की जाने वाली ज्यादातर लड़कियां दक्षिणी सिंध प्रांत के गरीब हिंदू समुदाय की होती हैं लेकिन दो नए मामलों में ईसाई लड़कियां हैं और तब से देश भर में यह मामला गर्म है. आमतौर पर लड़कियों को शादी के लिए लड़कियां खोज रहे पुरुष या उनके रिश्तेदार और दोस्त अगवा कर लेते हैं. कई बार तो ताकतवर जमींदार अपने बकाया कर्जे के लिए भी लड़कियों को उठवा लेते हैं और पुलिस दूसरी तरफ देखती रहती है. एक बार धर्मांतरण होने के बाद उनकी तुरंत ही शादी कर दी जाती है.
पहले से शादीशुदा और कई गुना बड़े मर्द के लिए होता है धर्मांतरण
बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाले बताते हैं कि मौलवी धर्मांतरण और शादी कराते हैं तो मजिस्ट्रेट शादियों को मान्यता देते हैं और पुलिस वाले ऐसे मामलों से या तो आंख मूंदे रहते हैं या फिर जांच में बाधा डालते हैं. धर्मांतरण के लिए ऐसी गैर मुस्लिम लड़कियों को अपना शिकार बनाया जाता है जो पहले से कमजोर हैं. नासिर बताते हैं कि इन लड़कियों को बाल यौनशोषण के लती बुड्ढों के हवाले कर दिया जाता है. इस पूरी कवायद का लक्ष्य इस्लाम में नए लोगों को शामिल करने की बजाय कुंवारी लड़कियां हासिल करना है. पाकिस्तान की 22 करोड़ आबादी में अल्पसंख्यकों की तादाद महज 3.6 फीसदी है. जो लोग जबरन धर्म परिवर्तन की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं उनमें से कइयों पर ईशनिंदा जैसे आरोप लगा दिए जाते हैं.
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