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माराडोना कि वो कहानियां जिनके लिए वह महान भी हैं और बदनाम भी

डिएगो माराडोना के निधन के बाद अर्जेंटीना में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक है. बुधवार को 60 साल की उम्र में बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली. माराडोना के निधन के बाद उनके फैंस बेहद निराश हैं. लोग इस महान फुटबॉलर की वो कहानियां याद कर रहे हैं जिसके लिए वह बदनाम भी हुए और महान भी.

माराडोन के पार्थिव शरीर को राष्ट्रपति के दफ़्तर कासा रोसारा लाया गया है. यहां तीन दिनों तक लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे. माराडोना की टीम के साथी रहे ओहवाल्दो अर्बिलेस ने कहा है कि जितनी शोहरत और प्रशंसा माराडोना को मिली उतनी आज के फ़ुटबॉल के सुपरस्टार लियोनेल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो को भी नहीं मिली. लिहाजा उनके जाने के बाद उनके चाहने वाले गहरे शोक में डूब गए हैं.

असाधारण प्रतिभा के धनी थे माराडोना

माराडोना के फैंस उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि अद्भुत, बदनाम, असाधारण, जीनियस और ग़ुस्सैल. डिएगो अरमांडो माराडोना. फ़ुटबॉल के एक ऐसे महानायक जिनमें कई ऐब भी थे. फ़ुटबॉल के सबसे करिश्माई खिलाड़ियों में से एक, अर्जेंटीना के माराडोना के पास प्रतिभा, शोखी, नज़र और रफ़्तार का ऐसा भंडार था, जिससे वो अपने प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे.

गरीबी में पैदा होकर बने सुपरस्टार

माराडोना का जन्म आज से 60 साल पहले अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के झुग्गी-झोपड़ियों वाले एक कस्बे में हुआ था. अपनी ग़रीबी से लड़ते हुए वो युवावस्था आने तक फ़ुटबॉल के सुपरस्टार बन चुके थे. कुछ लोग तो उन्हें ब्राज़ील के महान फ़ुटबॉलर पेले से भी शानदार खिलाड़ी मानते हैं. माराडोना ने अपने विवादित ‘हैंड ऑफ़ गॉड’ गोल से सबको हैरत में डाला और मैदान के बाहर ड्रग्स और नशाखोरी जैसे मामलों में भी पड़े.

छोटा कद और कारनामे बड़े

माराडोना ने 491 मैचों में कुल 259 गोल दागे थे. इतना ही नहीं, एक सर्वेक्षण में उन्होंने पेले को पीछे छोड़ ’20वीं सदी के सबसे महान फ़ुटबॉलर’ होने का गौरव अपने नाम कर लिया था. हालाँकि इसके बाद फ़ीफ़ा ने वोटिंग के नियम बदल दिए थे और दोनों खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया था. माराडोना ने महज़ 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल जगत में क़दम रख दिया था. कद से छोटे और शरीर से मोटे, सिर्फ़ पाँच फ़ीट पाँच इंच लंबाई वाले माराडोना कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं थे.

वो मैच जिसने माराडोना को महान बनाया

माराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 91 मैच खेले, जिनमें उन्होंने कुल 34 गोल दागे. लेकिन ये उनके उतार-चढ़ाव भरे अंतरराष्ट्रीय करियर का एक हिस्सा भर ही है. उन्होंने अपने देश को साल 1986 में मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और चार बार टूर्नामेंट के फ़ाइनल तक पहुँचाया. 22 जून 1986 को साँसें थमा देने वाले वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल मैच में माराडोना ने गजब का खेल दिखाया था.

अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच खेले गए क्वार्टर फाइनल में 51 मिनट बीत गए थे और दोनों टीमों में से कोई एक भी गोल नहीं कर पाया था. इसी समय माराडोना विपक्षी टीम के गोलकीपर पीटर शिल्टन की तरफ़ उछले और उन्होंने अपने हाथ से फ़ुटबॉल को नेट में डाल दिया. हाथ का इस्तेमाल होने की वजह से यह गोल विवादों में आ गया. फ़ुटबॉल के नियमों के अनुसार हाथ का इस्तेमाल होने के कारण यह गोल फ़ाउल था और इसके लिए माराडोना को ‘येलो कार्ड’ दिखाया जाना चाहिए था.

‘हैंड ऑफ़ गॉड’ की कहानी

लेकिन उस समय वीडियो असिस्टेंस टेक्नॉलजी नहीं थी और रेफ़री इस गोल को ठीक से देख नहीं पाए. इसलिए इसे गोल माना गया और इसी के साथ अर्जेंटीना 1-0 से मैच में आगे हो गया. मैच के बाद माराडोना ने कहा था कि उन्होंने यह गोल ‘थोड़ा सा अपने सिर और थोड़ा सा भगवान के हाथ से’ किया था. इसके बाद से फ़ुटबॉल के इतिहास में यह घटना हमेशा के लिए ‘हैंड ऑफ़ गॉड’ के नाम से दर्ज हो गई.

जब माराडोना ने किया ‘सदी का गोल’

इसी मैच में इस विवादित गोल के ठीक चार मिनट बाद माराडोना ने कुछ ऐसा किया जिसे ‘गोल ऑफ़ द सेंचुरी’ यानी ‘सदी का गोल’ कहा गया. वो फ़ुटबॉल को इंग्लैंड की टीम के पाँच खिलाड़ियों और आख़िरकार गोलकीपर शिल्टन से बचाते हुए ले गए और गोल पोस्ट के भीतर दे डाला. माराडोना का कैरियर ऐसे ही महान किस्सों से भरा हुआ है. लेकिन उनकी जिंदगी में विवाद भी कभी कम नहीं हुए जिसकी वजह से उन्होंने बदनामी झेली.

जब नशे का शिकार हुए माराडोना

एक वक्त वह भी आया जब महान माराडोना नशे का शिकार हो गए. उन्हें कोकीन की लत लग गई थी और उनका नाम इटली के कुख्यात माफ़िया संगठन कैमोरा से भी जुड़ गया था. साल 1991 में माराडोना एक डोप टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए और अगले 15 महीनों के लिए उन्हें फ़ुटबॉल से प्रतिबंधित कर दिया गया. इसके बाद साल 1994 में अमरीका में होने वाले फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में माराडोना को प्रतिबंधित ड्रग एफ़ेड्रिन लिए पाया गया था. इसके बाद बीच टूर्नामेंट में ही उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

जब एक पत्रकार पर चला दी गोली

तीसरी बार पॉज़िटिव पाए जाने के बाद माराडोना ने अपने 37वें जन्मदिन पर प्रोफ़ेशनल फ़ुटबॉल से रिटायरमेंट ले लिया था. हालाँकि इसके बाद भी विवाद और मुश्किलें उनका पीछा करती रहीं. माराडोना ने एक बार एक पत्रकार पर एयर राइफ़ल से गोली चलाई थी जिसके लिए उन्हें दो साल 10 महीने के लिए जेल की सज़ा सुनाई गई थी. कोकीन और शराब की लत की वजह से उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई तकलीफ़ें हो गई थीं.

इन सभी विवादों और परेशानियों के बावजूद साल 2008 में माराडोना को अर्जेंटीना की नेशनल टीम के मैनेजर के तौर पर नामित किया गया. उन्हें मैनेजर के तौर पर कई और भूमिकाएँ भी मिलीं, जिनके बारे में लोगों की राय बँटी रही और वो लगातार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बने रहे. लेकिन जब उनके निधन की खबर आई तो मानो फुटबॉल जगत सन्न रह गया. फुटबॉल को जानने समझने वाला शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे इस महान फुटबॉलर के जाने का गम नहीं.

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